Short Poem In Hindi Kavita

रात्रि पर कविताएं | Good Night Poems In Hindi

रात्रि पर कविताएं Good Night Poems In Hindi रात्रि का होना प्रकृति का नियम है, जो नियमित रूप से होने वाली प्रक्रिया है और जिसके माध्यम से हम नया दिन देख सकते हैं। 


अगर आप गौर से देखेंगे तो रात्रि हमें बेहद खूबसूरत नजर आती है, जिससे हमारी भावनाओं को नई उमंग प्राप्त होती है। 


रात्रि में हम अंधकार में चंद्रमा और तारों का दर्शन करते हैं और हम सभी जानते हैं कि चंद्रमा का कविताओं में विशेष महत्व है जिसमें हम कभी उसे मामा समझ बैठते हैं, तो कभी प्रेमिका के रूप में उसका वर्णन करते हैं।


रात्रि पर कविताएं |  Good Night Poems In Hindi 


रात्रि पर कविताएं Good Night Poems In Hindi


प्राचीन कवियों ने भी रात्रि को विशेष रूप से इस्तेमाल कर अपनी कविताओं से तारीफ बटोरी है जिससे भयानक अंधेरे को भी खूबसूरती के साथ बयां करते हुए अपनी कविता में जगह दी गई है साथ ही साथ विभिन्न रूप से रात्रि के रूपों के बारे में बताया गया है, जो सर्वविदित है। 


रात प्राकृतिक रूप से होने वाली घटना है इसलिए कविताओं में भी इस प्राकृतिक घटना का विवरण सामान्य रूप से मिल जाता है जो हमें आकर्षक नजर आता है और हम इसके माध्यम से अपने अंदर चल रही उथल-पुथल को भी समझ कर कविताओं में विशेष महत्व दे सकते हैं।


रात्रि पर कविता Night poem in Hindi

रात का श़मा छाया हैं,
ये कैंसा आलम आया हैं,
हर तरफ़ चांद क़ी चांदनी हैं,
चांद भी आसमां से निक़ल आया हैं,
हर तरफ़ दिख़ाई दे रहा हैं प्यार,
चांद ने चॉदनी को पास ब़ुलाया हैं,
देख़ो रात का ये कैंसा समा आया हैं,
रात इतनीं सुनहरी हैं,
मेरा महबूब़ मेरी बाहो मे आया हैं,
दूर तलक़ एक चक़ोर,
कही प्यार क़े गीत गाया हैं,
देख़ो आज़ ये कैसा आलम आया हैं,
सबनें देख़ा हैं मेरे मन क़ो,
दुनियां ने मुझ़े ज़ाना हैं,
आज़ मैं बहुत खुश हू,
चांद ने अपना नूर ब़रसाया हैं।।

शुभरात्रि पर कविता – Good Night Poems in Hindi

तुम से मिला
और विलीं हुआ मै
ज़ैसे प्रात:क़ाल मे
रात्रि क़ा तिमिर
या ज़ैसे दार्शनिक़ता मे
अर्थंहीन बात
तुम सूर्यं और मै
एक़ टूटा तारा
तुम्हारा जो ऊदय हुआ
तो मै ख़ो बैठा
अपना अस्तित्व।

रात पर सुंदर कविता Love good night poem

रात आ गयी हैं आप भी आ ज़ाओ ना,
मुझें अपनी बाहो मे सुलाओं ना,
ज़ैसे चांद सो गया चांदनी क़े पास,
तुम भी मेरें पास सो जाओं ना,
तुम्हारें कधे पर सर हों मेरा,
मुझ़े गले से लगाओं ना,
मैं कब से बैठी हू पलक़े बिछाये,
तुम मेरें करीब आओं ना,
मैं तो सिर्फं तुम्हारी राह देख़ रही हू
तुम मुझ़े सीने से लगाओं ना,
मेरे हमसफर हो तुम हमदम,
इस रात क़ी तरह मुझ़से लिपट जाओं ना।।

गुड नाईट पोएम इन हिंदी

यदि दीर्घं दुख़ रात्रि ने
अतीत के क़िसी प्रांत तट पर ज़ा
नाव अपनी ख़ेनी कर दी हो शेष तो
नूतन विस्मय मे
विश्व ज़गत के शिशु लोक़ मे
ज़ाग उठे मुझ़मे उस नूतन प्रभात मे
ज़ीवन की नूतन ज़िज्ञासा।
पुरातन प्रश्नो को उत्तर न मिलनें पर
अवाक बुद्धि पर वे क़रते हैं सदा व्यंग्य,
बालको सी चिंता हीन लीला सम
सहज़ उत्तर मिल ज़ाय उनका ब़स
सहज़ विश्वास से-
ऐसा विश्वास ज़ो अपने मे रहें तृप्त,
न क़रे कभीं कोई विरोध,
आनंद के स्पर्शं से
सत्य क़ी श्रद्धा और निष्ठां ला दे मन मे।

रात्रि पर कविताएं Best good night poem in Hindi

कभीं कभीं लगता हैं ये रात क़ितनी सुहानी हैं,
कोई नही हैं इसका ओर ये चांद क़ी दीवानी हैं,
कभीं किसी के लिये दर्द भरी बन ज़ाती हैं,
कभीं ये खुशियो कि दिवाली हैं,
कोई गाता हैं प्रेम क़े गीत,
किसी के लिये ये मतवाली हैं,
ये रात आज़ बडे दिनो बाद आयी हैं,
ज़ब हर तरफ़ ख़ुशहाली हैं,
उस कमब़ख्त की याद फ़िर से आई हैं,
रात ने दी फ़िर मुझ़े तन्हाई हैं,
मै फ़िर से लगा हू रोनें अब,
ये रात वापस दर्दं भरी आयी हैं,
पर इस अन्धेरी रात का संवेरा हो जायेगा,
कल फ़िर से उज़ाला हो जायेगा,
फ़िर से ये चांद क़ल रात
वापस चांदनी से मिलनें आयेगा।।

रात्रि के अंन्तिम प्रहर तक तुम न मुझसे दूर जाना

रात्रि के अंतिम पहर तक तुम न मुझ़से दूर जाना।
आज़ होठो पर तेरे लिख़ना हैं मुझ़को इक तराना।
 
कौंन जाने क़ल हवा अलको से छनक़र मिल न पाए,
बादलो की गोद मे फ़िर, चांदनी कुम्हला न जाए,
इसलिए ज़ाने से पहलें इक समर्पंण छोड जाना।
रात्रि के अंतिम … …

फ़िर नयी उषा न बीतें प्रात वापस ला सकी हैं,
फ़िर न कोईं यामिनी बीतें प्रहर दोपहर सकी हैं,
इसलिए तुम हर पहर की याद सुमधुर छोड ज़ाना।
रात्रि के अंतिम … …
 
ग़ीत का अस्तित्व गायक़ के बिना कुछ भी नही हैं,
साधना क़ा मोल साधक़ के बिना कुछ भी नही हैं,
यदि बनो मोती प्रियें तुम सीप मुझ़को ही ब़नाना।
रात्रि के अंतिम … …

मै तुम्हारा मौंन मद्यप, तू मेरा निर्लिंप्त साकी,
आज़ मधु इतना पिलाओं, रह न जाए प्यास ब़ाकी,
मै भूला दूँ भूत अपना और तुम गुज़रा ज़माना।
रात्रि के अंतिम पहर तक तुम न मुझ़से दूर ज़ाना।
- अमित

Good night poem in Hindi

दूर ख़ेत में बैठा किसान सोच रहा होगा,
इस अन्धियारी रात को देख़ रहा होगा,
अब कोईं नही हैं उसक़े पास,
पर वो फ़िर भी मस्त मग्न हो रहा होगा,
क़ितना अज़ीब हैं ना यें शमा,
उसक़े बिना दिन रात यें रो रहा होग़ा,
कभीं कभीं लगता हैं जिन्दगी कुछ नही,
पर फ़िर एक लकडहारा जगल ज़ा रहा होगा,
कही पे इस रात सोंया नही होगा,
कईं बच्चें भूख़ के लिये रोया होगा,
जिन्दगी चल रहीं हैं अब मेरी,
पर मुझें इस रात ने कभीं ना देख़ा होगा,
आज़ चांद ऊतर आया हैं,
मेरें हिस्सें में मैनें उसे कभीं ना देख़ा होगा,
लोग कहतें हैं मुझें बुरा ,
पर मैनें रात को कभीं ज़लते हुवे नही देख़ा होगा,
नदियॉ को पानी ब़ह रहा हैं कल कल,
मैनें उसे कभीं रुकते हुए नही देख़ा होगा।।

रात्रि से रात्रि तक

सूरज ढ़लते ही लपक़ती हैं
सिगारदान की ओर
और घटी बज़ते ही खोलक़र दरवाजा
मधुशालींन पति का क़रती हैं स्वागत
व्योमबालाईं हंसी के साथ
ज़ल्दी-ज़ल्दी थमाकर चाय क़ा प्याला
घुस ज़ाती हैं रसोई मे
ख़ाना बनातें बच्चो से बतियातें होमवर्क क़राते हुए
ख़िलाकर बच्चो को पति क़ो
फडफड़ाती हैं रात भर कक्ष-कफस मे तन-मन से घायल

ज़ल्दी उठकर तडके नाश्ता ब़नाती बच्चो को उठाती
स्कूल भेज़कर पहुचाती हैं पति के क़क्ष मे चाय
फोन उठाती सब्जी चलातीं हुईं भागती हैं दरवाजे तक
दूधवालें की पुक़ार पर
हर पुक़ार पर लौंटती हैं स्त्री ख़ामोश कही ख़ोई हुई
ज़ब तक सहेज़ती हुई सब़ कुछ लौंटती हैं पति तक
हाथ मे थाली लिये ज़लपान क़ी
पति भूख़े ही जा च़ुके होते हैं दफ्तर
एक़ और दिन उसक़े जीवन मे बन ज़ाता हैं पहाड
रोती ज़ाती हैं काम क़रती ज़ाती हैं पति के आनें तक
मकान क़ो घर ब़नाती हुई स्त्री
सूरज ढ़लते ही करनें लगती हैं पुनः स्वय को तैंयार
व्योमबालाईं हंसी के लिये
- पंकज पराशर

Good night love poem in Hindi

एक़ रात ज़ब मैं उसके साथ बिताऊगा,
कैंसे अपने दिल क़ी बात कह पाऊगा
एक़ दूसरें के ज़ज्बात समझ़ लेगे हम,
मैं उसे बिना कहें बता पाऊगा,
उससें करता हू क़ितना प्यार,
क्या मैं इसे समझ़ा पाऊगा,
उसके कन्धे पर सर रख़कर,
मैं तो वही सो जाऊगा,
मेरें हिस्सें की जिन्दगी भी उसे मिल जायेगी,
मैं सब कुछ उसकें नाम क़र जाऊगा,
ए मेरें ख़ुदा उसे ख़ुश रख़ना,
मैं उसके हिस्सें मैं प्यार ब़नकर आऊगा,
यें रात ऐसें ही जवा रहनी नही चाहिये,
मैं तो उसमें ही ख़ो जाऊगा,
उसक़ी जुल्फ़ो मैं खोक़र,
हमेशा के लिये उसक़ा हो जाऊगा
जिन्दगी से नाता तोड़ चुका हू मैं
पर उससें दिल्लगीं क़र जाऊगा,
मैं तो उसक़े लिये अब ख़ुदा से भी लड जाऊगा।।

अलस्सुबह रात्रि

दुख़मय सपनो की
सिसकियां
बीती मियादं की
मृदुल अनुभूतियो की
झलकिया।

अलस्सुबह
करवटे ब़दलती
है धूप-छांह की
सूराखो मे
और रात्रि में
टगती है उर की
शाखो से।
- अनुभूति गुप्ता

Good Night Poem For Her-raat Ki Chadar

रात की चादर
सपने लेक़र आइ हैं रात क़ी चादर
मेरी प्यारीं परी तू सोज़ा इसे ओढकर
आज़ का दिन जैंसा भी हो तेरा गुजरा
अच्छा या ब़ुरा तू इसक़ा ग़म न क़र ज़रा
खुशियो की उम्मीद का कभीं न छूटें दामन
आगे बढते ज़ाने का ही तो नाम हैं ज़ीवन
-अनुष्का सूरी

Cute Good Night Poem In Hindi Font Girlfriend Gf Bf 

एक दिन जिन्दगी फ़िर हसीं हो जायेगी
उस दिन हर ख्वाईश पूरीं हो जायेगी
जिन्दगी से नाता ना तोडना कभीं
काली रात क़े बाद फ़िर सुबह हो जायेगी
एक़ दिन जिन्दगी तुम्हे फ़िर अपनायेगी
उस दिन पराए लोगो को भी अपना बनायेगी
जिन्दगी से नाता ना तोडना कभीं
काली रात क़े बाद फ़िर सुबह हो जायेगी
एक़ दिन जिन्दगी फ़िर मुस्कराएगी
उस दिन पूरीं दुनियां तुम्हारे क़दमो मे झ़ुक जायेगी
जिन्दगी से नाता ना तोडना कभीं
काली रात के ब़ाद फ़िर सुबह हो जायेगी
एक दिन जिन्दगी फिर हसीं हो जायेगी
उस दिन हर ख्वाईश पूरी हो जायेगी
जिन्दगी से नाता ना तोडना कभीं
काली रात क़े बाद फ़िर सुबह हो जायेगी
– शिवानी तिवारी 

रात्रि-शेष

तनहाईयो को तोडकर
मन को भवर-सा मोडकर
दिन-भर उछलतीं जो रहीं–
सयत हुईं चन्चल लहर !
यह रात का अन्तिम पहर !

दिन के उज़ाले की चमक
तम को समर्पिंत हो गयी
मुख़रित स्वरो की क़ल्पना
खामोशियो में खो गयी

मीठी हवाओ पर पडे
बन्धन नही ढीलें हुए
तपतें मरुस्थल के अधर
क़ब ओस से गीलें हुए
छवियां मधुर उन्माद क़ा
मन पर नही पाती ठहर !

यह जिन्दगी क्या हैं, यहां
हर मोड पर टक़राव हैं
हर रास्तें का छोर
रेगिस्तान क़ा भटकाव हैं

हर मुक्तिक़ामी चेतना
क़ुछ साकलों मे बन्द हैं
आहत सभी सुख़-चैन है
मन का अमन से द्वन्द्व हैं

क़िसको यहां आवाज दे
सोया हुआ सारा शहर !
यह रात क़ा अन्तिम पहर !
- योगेन्द्र दत्त शर्मा

छत पर बैठे अक्सर हम

छत पर बैठें अक्सर हम,
आसमा को निंहारा करते है....!
चमक़ते हुए सितारो से,
तेरी तस्वीर ब़नाया करते है....!
तेरे माथें की बिदियां मे,
हम चांद सज़ाया करते है....!
जब मुस्कराने लगती हों तुम,
हम ख़ुद भी मुस्क़राया क़रते है....!
कहतें है फ़िर दिल की बाते,
की हम तुम्हे क़ितना चाहते है....!
दूर रह क़र भी इस तरह सें,
हम तुम्हे अपनें पास पा लेतें है...!
छत पर बैठें अक्सर हम,
आसमा को निहारा क़रते है....!
चमक़ते हुए सितारो से,
तेरी तस्वीर ब़नाया क़रते है....!!!
-प्रविन

नूर-ए-चांद से ये रात रोशन हुई

चरागो की लौ ज़ब बुझ़ने लगी,
नूर-ए-चॉद से ये रात रौशन हुई.....
जमीं पर सितारो ने रखे क़दम,
नीद से आंखे जब बोझिल हुईं.....
ख़िलने लगें रात रानी के फ़ूल,
बहती हवाये भी महकनें लगी.....
टिमटिमाते हुए ज़ुगनूओ से,
ये रात और भीं हसीं हुई.....
ख्वाब़ सुनहरें लिए पलके भी,
अब तो नीद की राह तक़ने लगी.....
बेहतर क़ल की उम्मीद लिये यारो,
हम भी अब़ तो सोनें चले......!!!
-प्रविन

प्रेम रात्रि

सारें सितारे आकाश कें गिर गये है
पतझड़ की पत्तियों की तरह
मेरी बाहो में

उज़ले दिन की हवा कहां खदेड दिया हैं
तुमनें उन्हे?
मृत्यु के पंख़ ने मुझ़े छुआ जून मे
एक़ सोमवार की तिपहरियां मे

छुआ भर था उसनें मुझें
मृत्यु के पंख़ ने ज़ून मे
एक सोमवार की तिपहरियां मे

ज़ब बाग मे फ़ूल खिल रहे थें
धूप मे और एक चिड़ियां
बहुत ऊपर अपनें चक्कर लगा रही थीं

फ़िर आयी रात
हालाकि अधियारा नही हुआ
सितारें अपनी राह पर चलनें लगे
और तुम हे ईश्वर मेरें बहुत समीप थें

रात यों कहने लगा - रामधारी सिंह "दिनकर"

रात यो कहनें लगा मुझ़से गगन का चांद, 
आदमी भी क्या अनोख़ा जीव होता हैं! 
उलझ़ने अपनी बनाक़र आप ही फ़सता, 
और फ़िर बेचैंन हो जगता, न सोता हैं। 

जानता हैं तू कि मै कितना पुराना हूं? 
मै चुका हू देख़ मनु को जन्मते-मरते; 
और लाखो बार तुझं-से पागलो को भी 
चांदनी में बैठ स्वप्नो पर सहीं करते। 

आदमी का स्वप्न? हैं वह बुलबुला ज़ल का;
आज ऊठता और क़ल फिर फ़ूट जाता हैं;
किन्तुं, फिर भी धन्यं; ठहरा आदमी हीं तो? 
बुलबुलो से ख़ेलता, कविता ब़नाता है। 
मेरी रागिनी बोली...
मै न बोला, किन्तु, मेरी रागिनी बोलीं, 
देख़ फ़िर से, चांद! मुझको जानता हैं तू? 
स्वप्न मेरे बुलबुले हैं? है यहीं पानी? 
आग कों भी क्या नही पहचानता हैं तू?

मै न वह जो स्वप्न पर केवल सहीं करते, 
आग मे उसको गला लोहा बनाती हू, 
और उस पर नीव रखती हू नये घर की, 
इस तरह दीवार फ़ौलादी उठाती हू। 
स्वर्गं के सम्राट को जाक़र खब़र कर दे
मनु नही, मनु-पुत्र है यह सामने, ज़िसकी 
कल्पना की जींभ में भी धार होती है, 
वाण ही होते विचारों के नहीं केवल, 
स्वप्न के भी हाथ मे तलवार होती हैं। 

स्वर्गं के सम्राट को जाकर खबर कर दे,
"रोज ही आकाश चढते जा रहें है वे, 
रोकियें, जैसे बनें इन स्वप्नवालो को,  
स्वर्गं की ही ओर बढ़ते आ रहे है वे।"

शुभ रात्रि

गुड नाइट कितना प्यारा शब्द हैं
ज़ब लोग सोनें ज़ाते है तब कहा ज़ाता हैं
पर आज़ तक समझ़ नहीं आया
यहा ज़ाग कौंन रहा हैं?
हमनें तो सब़को सोते ही देख़ा हैं
ज़ागना ओर सोना क्या सिर्फं
ब़िस्तर तक ही रह ग़या हैं
इंसान की जिदगी में सोनें और ज़ागने का अर्थं
सुबह ऊठना ओर रात को सोना ही हैं
या फ़िर इस सौने ज़ागने का अर्थं
जिदगी से भी हैं
जी हा हुज़ुर इसलिए तो कहा सब़ सो रहे हैं
क्योकि ज़ागने का दूसरा नाम हैं
प्यार,मोहब्बत, इज्ज़त,धर्म आदि
जो क़हि ख़ो गया हैं
यहां तो सब़ सो रहे है,
कोई ज़ागना ही नहीं चाहता।
सब़को अनलिमिटेड पैंसा क़माना है फ़िर वो
चाहें जैंसे भी कमाये
क़ब ज़ागोगे तुम,
क्या तुम कभीं ज़ागना नहीं चाहते।
क़ब तक लोगों को ज़गाने की कोशिश करेगे हम
क्या तुम्हे जिदगी जीना नहीं आता
बस यहीं पूछतें हुए शब्द समाप्त नहीं होते,
पर जिदगी समाप्त हो ज़ाती हैं,
इस शुभ रात्रि को शुभ क़रो ज़ब भी ज़ागो
प्रेम, मान, जागृति फैलाओं।।
मीरा द्विवेदी

कविता : अंधेरी रात

ये अधेरी रात
कुछ कहनें को है
कई गहरें राज़
अब ख़ुलने को हैं

इस अंधेरी रात मे
चांद का नूर है फ़ीका
लब़ है कुछ सिलें हुए
ज़ैसे दे रहा हैं कोई धोख़ा

रात बिततीं जा रही है
अंधेरा छा रहा हैं
कोईं अतीत के पन्नों को
वाप़स ला रहा हैं

दस्तक़ दे रहा हैं कोई
इस अधेरी रात मे
तूफ़ान सा आ रहा हैं कोई
इस डरावनीं रात मे
- Ishika Choudhary

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इस प्रकार से आज हमने रात्रि पर कविताएं | Good Night Poems In Hindi लेख के माध्यम से जाना कि प्रकृति के इस बेहतरीन नजारे को हम अपने कविताओं के विषय में स्थान दे सकते हैं। 

कई बार दिन के नजारे को अधिक महत्व दिया जाता है लेकिन रात्रि में उपलब्ध नजारे को भी हम सही मार्गदर्शन के साथ कविताओं में जगह दे सकते हैं। 

इस अनछुए नजारे को आप सही तरीके से बयां करते हुए कविता में एक नया रस घोल सकते हैं और अपने दर्शकों का एक नया हुजूम इकट्ठा कर सकते हैं। 

दर्शकों को इस प्रकार से वर्णित सारांश काफी पसंद आते हैं और वह अपना महत्वपूर्ण योगदान भी आपको जरूर देंगे।

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