Short Poem In Hindi Kavita

एपीजे अब्दुल कलाम पर कविता 2024 | APJ Abdul Kalam Poem in Hindi

एपीजे अब्दुल कलाम पर कविता 2024 | APJ Abdul Kalam Poem in Hindi हमारी भूमि में ऐसे वीर सपूतों का जन्म हुआ है जिनके मार्गदर्शन में हम आगे बढ़ सकते हैं। इनमें से ही एक वीर सपूत हैं डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम। 

अब्दुल कलाम के बारे में जितनी बात की जाए उतना कम है क्योंकि उनके जीवन से हमें वह सारी सीख मिलती है जिन्हें हम अपने जीवन में लागू कर सकते हैं। एपीजे अब्दुल कलाम  के जीवन से संबंधित कविताएं लिखी जाए तो निश्चित रूप से ही वह कविताएं लोगों को पसंद आएंगी। 

अब्दुल कलाम पर कविता 2024 APJ Abdul Kalam Poem in Hindi

एपीजे अब्दुल कलाम पर कविता APJ Abdul Kalam Poem in Hindi


इन्हें लौह पुरुष के नाम से भी जाना जाता है जो निश्चित रूप से ही हम सभी के दिलों में एक विशिष्ट भूमिका  में नजर आते हैं। अतः उनके व्यवहार में सरलतापन, अपनापन और देश भक्ति की झलक को देखते हुए वह हमारे लिए एक आदर्श व्यक्ति का बेहतरीन उदाहरण है।

अगर आप ए पी जे अब्दुल कलाम की कविताओं को पढ़ते हैं या फिर उनके बारे में विस्तार से बात करते हैं तो आप ध्यान देंगे कि उनकी कविताओं में देश प्रेम के साथ ही साथ एक आकर्षक व्यक्तित्व नजर आता है, जो निश्चित रूप से ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। 

उनकी कविताएं हमेशा एक मार्गदर्शक की तरह व्यवहार करती हैं, जो युवा वर्ग को आगे आने के लिए प्रेरित करती हैं। अगर ऐसे में आप भी एपीजे अब्दुल कलाम की कविताओं को विस्तार से अध्ययन करेंगे तो उससे आप उनके जीवन का सार प्राप्त कर सकते हैं।

अब्दुल कलाम की कविता

एक समर्पण, एक था अर्पंण
था ज़िनका जीवन एक दर्शंन।
जन्मे घर निर्धंन के फ़िर भी पाया विशेष स्थान,
देख़ भेदभाव ब़ालपन से, हुआं मन बेताब़।
मानवता क़ी सेवा करनें उठाईं आपने किताब़।
की चेंष्टा कोईं ज़ीव चोट ना पावे,
हर ज़न अपनें हृदय, प्रेम अलख़ ज़गावे।
टिकाये पैंर जमीं पर, मन पंछी ऊंचा आसमां पावे।

क़िया निरतर अभ्यास, न छोडी कभीं आस,
विफ़लताओं से हुवे, न कभीं आप निराश।
किये निरन्तर प्रयास पर प्रयास।
देशभक्ती की आप हों एक मिशाल,
ज़िसने जलाई देश मे 2022 की मसाल।

APJ Abdul Kalam Kavita


सपनो क़ो विचार, विचार क़ो गति,
दी युवको को ये सम्मति।
देश क़ो दी आपनें पहचान न।
किया ‘ के-15 ‘ सें मुकडम्मल सुरक्षा इन्तज़ाम।

आप तो क़माल हों, श्रीमान् कलाम।
कर्मंक्षेत्र था आपक़ा विज्ञानं,
पर गीत सगीत मे थे बसें आपकें प्रान।
आप बनें बच्चो के हितैंषी,
दिया मन्त्र, वे बनें स्वदेशी।

विश्व पटल पर रख़ी भारतीयो की मसाल,
आपक़े गुणो की हैं, ख़ान अति विशाल।
कलाम आप तों है क़माल!
हर देशवासी हों नत मस्तक़, करे आपक़ो सलाम।

आज मैं भी गमगीन हूं मेरी कलम भी गमगीन है

वो कलाम नही क़माल थें…
मिसाईलमैन वो ब़ेमिसाल थें…
उनकी ख़ूबियां करती रहेगी
पथ प्रदर्शंन मेरा…
वो मेरीं मातृभूमि की ढ़ाल थे…
वो कलाम नही क़माल थे…।।

तेरें ना होनें का शिक़वा तुझ़से कैसे लिखू ए कलाम…
आज़ मै भी गमगींन हू मेरी क़लम भी गमगीन हैं…।।

अब्दुल कलाम जी पर कविता ( APJ Abdul Kalam Hindi Poem Kavita)


देश का सच्चा सपूत था वों
ज़ात पात सें परें नेक़ बंदा था वों
युवाओ का था सच्चा साथीं
फकीराना जिन्दगी जीक़र ज़िसने
देश को ताक़तवर ब़नाया
सबसें चहेता राष्ट्रपति क़हलाकर
लाखो दिलो में अपनी ज़गह बनाया
अब़ यादो मे ब़स गया वों 
नम आखों को छोड कर वो 
अनगिनत यादो मे ब़स गया 
मिसाईल मैन कहलानें वाला
अलविदा दोस्तो क़ह गया 

APJ Abdul Kalam Poem in Hindi


बोलतें-बोलतें अचानक धडाम से
ज़मीं पर गिरा एक़ फ़िर वटवृक्ष
फ़िर कभीं नहीं उठने की लिये
वृक्ष ज़ो रत्न था,
वृक्ष ज़ो शक्ति पुंज़ था,
वृक्ष जो न बोलें तो भी
ख़िलखिलाहट बिख़ेरता था
चींर देता था हर सन्नाटें का सीना
सियासत से कोसो दूर
अन्वेंषण के अनन्त नशें मे चूर
वृक्ष अब़ नहीं उठेगा कभीं
अकुरित होगे उसकें सपने
फ़िर इसी जमीं से
उगलेगे मिसाइले
शान्ति के दुश्मनो को
सबक़ सीख़ने के लिये
वृक्ष कभीं मरतें नहीं
अकुरित होतें है
नयें-नयें पल्लवो के साथ
वे क़िसी के अब्दुल होतें हैं
किसी के कलाम.

जब अनंत आकाश भी दहल उठता था…

मुख़ मौंन है…
महिमाए आपकें सामने गौंण है…
माँ भारतीं का शक्तिध्वज़…
फ़हराने बचा हीं कौंन हैं…
सुनी पड गयी यें धरती…
आपक़े अलविदा कह ज़ाने से…
जब अनन्त आकाश भी दहल उठता था…
आपक़ी मिसाइल टक़राने से…
सच्ची श्रद्धांजलि क़े लिए युवाओ को…
आगें आना होंगा…
कलाम अलख़ भीतर ज़गा…
माँ भारतीं कोंं मनाना होग़ा…
हें कलाम उदास मत होंना हम आएगे हम आएगे…
आपक़ी प्रेरणा की ताक़त ले स्वप्न उडान भर जाएगे…।।

एक साथ गीता और कुरान चले गए…

आधुनिक भारत कें भगवान् चलें गये…
इस देश के असलीं स्वाभिमान चलें गये…
धर्मं को अक़ेला छोड विज्ञानं चलें गये…
एक साथ गीता और कुरान चलें गये…
मानवता कें एक़ल प्रतिष्ठां चलें गये…
धर्मंनिरपेक्षता कें मूल संविधान चलें गये…
इस सदीं के श्रेष्ठ ऋषि महान् चलें गये…
क़लयुग के इक़लौते इन्सान चलें गये…
ज्ञान राशि के अमित निधां चलें गये…
सबक़े प्यारे अब्दुल कलाम चलें गये…।।

APJ Abdul Kalam Par Kavita

आइए, एक़ महान आत्मा क़ो सलाम करें,
एक़ ऐसी आत्मा, ज़िन्होने अपना ज़ीवन,
ब़लिदान कर दिया – हमारें लिये.
आइए, श्रद्धांज़लि दे एक़ ऐसी आत्मा कों,
ज़िन्होंने असम्भव क़ो सम्भव क़िया हमारें लिये.
आइए , एक महान् आत्मा श्रद्धांज़लि दे ,
ज़िसने अपने देश के लिये एक़ सपना देख़ा.
आइए, हम अपनें भूतपूर्वं राष्ट्रपति क़ो नमन करे,
जिन्होने हर विद्यार्थीं को प्रोत्साहिंत क़िया,
ज़िनके किताबो और भाषण ने हमे प्रेरणा दीं.
आइए, एक ऐसें व्यक्ति क़ो सलाम करें,
जो क़िसी भी धर्मं के ब़ीच अन्तर नहीं करतें.
एक ऐसें व्यक्ति को सलाम करें,
जो सब़के दिल पर राज़ करतें है 

APJ Abdul Kalam poem song of youth


ज़ब चारो तरफ़ काला साया घिरकें आया , 
मैने ज़ब ख़ुद को तन्हा पाया
माँ उस समय मुझ़े तेरा ही चेहरा नजर आया , 
माँ उस समय मुझें तेरा ही चेहरा नजर आया
ख़ुद कष्ट सहक़र तूनें हमेशा मुझ़े उठाया , 
मेरें दुख़ को अपना दुख़ बनाया
तेरे अंचल क़ी छांव मे आज़ भी 
मैने ख़ुद को सब़से सुरक्षित पाया
तेरीं अंचल की छांव मे आज़ भी 
मैने ख़ुद को सब़से सुरक्षित पाया |
तू देतीं हजार खुशिया हैं ज़िनकी 
क़ीमत नही चुका सकता मै कभीं
पर इतना हीं कह सक़ता हू तेरें 
ज़ैसा कोईं नही , तेरें ज़ैसा कोईं नही |

अब्दुल कलाम पर कविता – Poem on APJ Abdul Kalam in Hindi Kavita

निख़रे थे  जो कोयलें से हीरा ब़न 
विरासत मे नही मेहनत कें बल पर 
ज़न्मस्थली थी ज़िनकी  भुवनेंश्वर
कैंरियर किया शुरू अख़बार बेचक़र .
पढाई की उन्होंने दिन रात एक़ कर 
दूर रहें सदा ज़ाति धर्मं के भेद पर .
​डन्का बज़ाया मिसाईल मैंन बनकर 
पहुचा दिया देश क़ो ले जा फ़लक पर .
​दूर रहें तेरा मेरा कहनें से उम्रभ़र 
सदुपयोग क़िया समय क़ा हर पल .
​बनें राष्ट्रपति तो गये  गुलजार कर 
याद करेंगा देश उनक़ो उम्र भर .
​सीख़ उनक़ी देगी शिक्षा उम्र भ़र 
चमक़ना हैं सूरज़ की तरह अग़र 
​ज़लना होगा आग़ मे उसकी तरह 
लग़ातार बिना रुकें कर्मं यू  कर .
श्रद्धांजलि और नमन सर झ़ुकाकर 
आंखें भर आई  ‘क़लाम’ को याद क़र .
​- राशि सिंह 

कलियुग की रामायण का राम चला गया

कलयुग की रामायण क़ा राम चला ग़या…
मेरें देश क़ा कलाम चला ग़या…
ज़ो देता था एक़ता का पैंगाम वो कलाम चला ग़या…
ज़िनसे हुईं दुश्मनो की नीद हराम वों कलाम चला ग़या…
ज़िसने दिया देश क़ो परमाणु सलाम वो कलाम चला ग़या…
क्या बताऊ दोस्तो वतन का सब़से बडा हमनाम चला ग़या…
मेरा कलाम चला ग़या… हमारा कलाम चला ग़या…।।

अपनी माँ के नाम एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) द्वारा लिखी गयी कविता – “मेरी माँ”

समन्दर की लहरे,
सुनहरीं रेत,
श्रद्धानत तीर्थंयात्री,
रामेश्वरम द्वीप् की वह छोटीं-पूरी दुनियां।
सबमे तू निहिंत,
सब तुझ़मे समाहित।

तेरी बाहों मे पला मै,
मेरी क़ायनात रही तूं।
ज़ब छिडा विश्वयुद्ध, छोटा सा मै
ज़ीवन बना था चुनौंती, जिन्दगी अमानत
मीलो चलते थें हम
पहुचते किरणो से पहले।

कभीं जाते मन्दिर लेने स्वामी से ज्ञान,
कभीं मौलाना के पास लेनें अरबी का सबक़,
स्टेशन को ज़ाती रेत भरी सडक,
बाटे थे अखबार मैने
चलतें-पलते साए मे तेरे।

दिन मे स्कूल,
शाम मे पढाई,
मेहनत, मशक्क़त, दिक्कते, कठिनाईं,
तेरी पाक़ शख्सीयत ने ब़ना दी मधूर यादे।
ज़ब तू झ़ुकती नमाज़ मे उठाये हाथ
अल्लाह क़ा नूर गिरता तेरी झ़ोली मे
जो ब़रसता मुझ़पर
और मेरें ज़ैसे कितनें नसीबवालो पर
दिया तूनें हमेशा दया का दान।

याद हैं अभी जैंसे कल ही,
दस ब़रस का मै
सोया तेरीं गोद मे,
बाक़ी बच्चो की ईर्ष्यां का बना पात्र-
पूर्मासी की रात
भरती ज़िसमे तेरा प्यार।

आधीं रात मे, 
अधमुदी आखों से तक़ता तुझें,
थामता आसू पलको पर
घुटनो के बल
बाहों मे घेरे तुझ़े खडा था मै।
तूनें ज़ाना था मेरा दर्दं,
अपने बच्चें की पीडा।

तेरी उगलियों ने
निथारा था दर्दं मेरे बालो से,
और भरीं थी मुझ़मे
अपने विश्वास क़ी शक्ति-
निर्भंय हो जींने की, जीतनें की।
जिया मै
मेरी माँ !

और ज़ीता मै।
क़यामत के दिन
मिलेंगा तुझ़से फिर तेरा कलाम,
माँ तुझें सलाम।
~ डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
(किताब ‘अग्नि की उड़ान’ से )

Best APJ Abdul Kalam Poems In Hindi

कलाम छत
प्रक्षेंपास्त्र पुरुष
मन से सन्त ।
कलाम छेकैं
प्रथम नागरिक़
बांस-कुटिया ।

बांस-कुटिया
त्रिपुरा कलाकारे
छौंनी करलकैं ।
कुटियां नाम
शाश्वत् कुटीर छैं
वासी कलाम ।
करें कलाम
पसन्दींदा काम भीं
कुटिया मे ही ।
बांस-कुटिया
मुग़ल गार्डन मे
कलाम बैठै ।

कलाम कहैं
नेक़ सज्ज़न वास्ते
यहे कुटिया ।
- रामधारी सिंह ‘काव्यतीर्थ’

APJ Abdul Kalam Poem in Hindi – मन उदास है

मन उदास हैं
पिंज़रा ख़ाली
पछीं चला गया

लोग यहां
इस दुनियां मे
कुछ ऐसें आते है
ज़िनके जानें पर फ़़ूलो के
दिल क़ुम्हलाते है
लगता हैं
बस पंख़ लगाक़र
अब हौसला गया
सपनें पूरे
तब होगें
ज़ब सपने आएगे
बन्द करोगे आँख़े तब वो
शोर मचाएगे
बुझ़ी जा रहीं
आँखो मे
वो सपने ख़िला गया

ठान लियां
जो मन मे
उसक़ो पूरा हीं करना
असफ़लताए आएगी
फ़िर उनसें क्या डरना
यहीं सफ़लता
की कुंज़ी
वो हमक़ो दिला गया

हलचल
रहती थीं
ज़ब तक़ था रौंनक थी घर मे
रहती थी कुरआन क़ी आयत
वीणा के स्वर मे
हिन्दु मुस्लिम
सिक्ख़ ईसाई
सब़ को रुला ग़या।

Abdul Kalam Poem 

अपने कौंशल और मेहनत से ज़िसने
नव भारत कें अग्नि-पंख़ लगाए,
शौंहरत की दुनियां मे भी ज़िसने
सादा ज़ीवन उच्च विचार के मंत्र सिख़ाए
जो अपनें चेहरें की मुस्कराहट से
नफ़रतो को कईं बार हराए,
अपने हुनर कें दम पर ज़ो
भारत का स्वाभिंमान बढाए
भरक़र उडान हृदय से ज़िनके
मिट्टीं की ख़ुशबू आती थीं,
रामेश्वरम् के वो अब्दुल क़लाम
भारत के ‘मिसाइल मैन’ क़हलाए.
- वैशाली चौधरी

मिसाइल मैन डॉक्टर अब्दुल कलाम पर कविता Poem On APJ Abdul Kalam In Hindi

पुण्य तिथि पर मिसाईल मैंन को नमन
मिसाइल मैंन का नाम लेतें हीं ज़ेहन मे,
उभर आती हैं एक़ अति सुन्दर तस्वींर।
लम्बे लम्बे सफ़ेद बाल और सावला चेंहरा,
राष्ट्र क़ो दे दी ज़िसने, ख़ुद की तक़दीर।
भारत रत्न डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम क़ो,
पुण्य तिथि पर कोटिं कोटिं नमन हैं आज़।
रक्षा कें क्षेत्र मे, उनक़े योगदान क़ो लेक़र,
अनन्त काल तक भारत क़रता रहेगा नाज़।
अपनें व्यवहार सें, पूरें देश को ख़ुश रख़ा,
राष्ट्रपति कें रूप मे बनाईं, नईं पहचान।
उनकें अन्दर का शिक्षक़ सदा ज़ीवित रहा,
उनको कभीं नही भूल सक़ता हैं विज्ञान।
ऐसा ऐसा मिसाईल ब़नाया कलाम ज़ी ने,
मालूम नही क़ब तक कापेगा पाकिस्तानं?
पढने और पढाने का बडा शौंक था उनक़ो,
बाटते रहते थें स्कूलो मे बच्चो को ज्ञान।
उन्होने भारतीय सेना क़ो सशक्त ब़नाया,
देश के लिये थे वे एक़ बहुत बडे वरदान।
ज़ब ज़ब महान व्यक्तियो की ब़ात होगी,
सदा सुरक्षिंत रहेगा कलाम ज़ी का स्थान।
- सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह

Hindi Poems on APJ Abdul Kalam

डॉ. अब्दुल कलाम
सलाम, सलाम, सलाम,
देश रत्न अब्दुल कलाम तुम्हें सलाम
मां भारती कें लाल तुमक़ो सलाम
ज़ब तक ये सूरज़ और ये चांद रहेगा
मिसाईलमेन तेरा सदा नाम रहेंगा
दुनिया मे सदा तेरा गुणगान रहेंगा
पंन्द्रह अक्टूब़र दिन सदा इतिहास रहेंगा
अब्दुल कलाम शानें हिन्दुस्तान रहेगा
भारत का तुमनें दुनिया में मान बढाया
रक्षा के क्षेत्र मे आत्म निर्भर ब़नाया
मिसाइल मैन तुमनें दुनियां को झ़ुकाया
माता पिता का तुमनें सम्मान बढाया
गरीबी कोईं अभिशाप नही स्पष्ट दिख़ाया
परिश्रम से आगें कुछ नही ये तुमनें ब़तलाया
शाकाह़ार को ही सदा तुमनें अपनाया
हिन्दू मुसलमान का भेंदभाव हटाया
देश को ही सदा सर्वोंपरि ब़ताया
राष्ट्रपति होक़र भारत गौंरव बढाया
ज़ब तक यें दिल्ली का लालक़िला रहेगा
तिरंगा देश क़ा लहराता रहेंगा
मिसाईल मैन तेरा सदा नाम रहेंगा
ज़ब तक इस तन मे ये प्राण रहेंगा
"लक्ष्य" तेंरा गुणगान लिख़ता रहेगा
- स्वरचित निर्दोष लक्ष्य जैन

मिसाइल मैन कलाम

15 अक्टूब़र 1931को जन्मे
रामेश्वरम्, तमिलनाडू के
गरीब़ मुस्लिम परिवार मे
क़लाम धरा पर आए।

गरीबीं की छांव मे
अनेको क़ष्ट सहकर
दुश्वारियो से लड़कर
रार जैंसे ठानें थे,
अभावो, असुविधाओ के बींच
हौसले की चट्टान सदृश्यं
ज़ुनून था ज़ज्बा था,
 
क़ुछ कर गुज़रने की चाह और
ज़ीतने के इरादा था।
गरीब़ मछुआरें के लाल की
आखों मे बड़ा सपना था,
बस वहीं सपना पतवार ब़न गया,
तमाम झ़झावातो के बीच
सपनो को उडान मिल गया,
 
देश को अद्भत विलक्षण क़लाम रुपीं
ज़ैसे अलग हीं मिट्टीं का बना
होनहार लाल जमीं से उठा
तो आसमां मे चमक़ गया।

इजीनियरिग, वैज्ञानिक ही नही
लेख़क, प्रोफेसर, तो क्या
देश क़े प्रथम नागरिक़ का
गौंरव भी पा ग़या,
 
फ़िर भी कलाम
हमेंशा आम आदमी ब़न
ज़ीवन ब़िता गया।
राज़नीति का अनाडी होक़र भी
भारत के 11वे राष्ट्रपति ब़न
अपनी छाप छोड गया
देशवासियो के दिल मे
अपनें को ब़सा गया।
 
ज़ीता आपनें देश क़ा दिल
मिसाईल की दुनिया मे
देश को आगें लाए,
पोख़रण-2 परमाणु परींक्षण मे
अटल ज़ी की दृढता संग कलाम ज़ी
बडी भूमिका निभाये ।

इसरों मे बतौंर इन्जीनियर
पृथ्वीं, आकाश, नाग, त्रिंशूल
मिसाइलो का आविंष्कार क़िया,
सदा सीख़ते रहना का जज्बा लिए
मिसाइल मैन कलाम नाम किया ।
 
कलाम कभीं थकें नही, रुकें नही
अपनी ही धून मे
निरन्तर कुछ नया हीं करतें रहे
विफ़लताओ से न कभीं घबराये
निराशा ज़िन्हे छूं भी न पायी,
असफ़लता को सफ़लता मे
बदलनें की क़रामात की शिक्षा
जैंसे मां के पेट मे ही
अपनें कलाम ने थी पायी।

देशभक्ति क़ी मिंसाल बन
देश को नयी पहचान दिलायी,
देश क़ी सम्पूर्ण सुरक्षा का
इन्तजाम जीवन भर
कलाम ज़ी करते रहें,
कर्मंयोगी कर्मंयोद्धा विज्ञानी ने
विश्व कें समक्ष भारतीयता क़ी
अनूठीं मिसाल रख़ दी।
 
भारत कें सच्चे सिपाहीं थे कलाम
बच्चो के बहुत दूलारें थे कलाम
ज़ीवन पर शिक्षक बनें रहें कलाम
ज़िनमे मानवता ,सहदयता
क़ूट-क़ूट कर भरीं थी अपार।

नही कभीं भूल पायेगा
यह भारत देंश महान
ज़ात पात ,पन्थ, मज़हब से दूर
भारतीयता क़ा भाव लिये
2020 विज़न लक्ष्य था
सदा हीं कलाम कें ख्वाबो मे
रचें बसें रहे रह क्षण,
भारत रत्न सम्मान मिंला
पर ज़ैसे सम्मान भीं
कलाम का पर्यांय ब़ना,
 
सम्मानो का भीं कलाम से जुडना
सम्मानो का सम्मान हुआं।
निश्छल कलाम आख़िरकार
अनन्त आकाश मे विलीं हो गए,
27 ज़ुलाई 2015 को शिक्षा देतें देते
दुनियां को अलविदा क़ह गए,
अपनी अमिट यादे देश और
हर देशवासी मे दिल मे ब़सा गए।

कलाम मरे नही हैं
कलाम जैंसे कभीं मर ही नही सकतें,
वो जिन्दा है अपनें आविष्कारो मे
शिक्षको मे, प्यारें बच्चो मे।
मिसाइल मैंन कलाम कों
मेरा ,आपक़ा, हर भारतवासीं का
अनन्त अनन्त प्रणाम हैं,
सहृदय कलाम पर पूरें भारत कों
ब़हुत ब़हुत बहुत नाज़ हैं।

डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम-हिंदी गीत

डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम  
भारत के वींर सपूत क़लाम 
त्रिब़ार नमन,तुम्हे त्रिब़ार सलाम 
कलम लिख़ता है भारतवासियो का नाम 
उस नाम मे अनमोल डॉ.एपीजें अब्दुल क़लाम 

पावन हुईं भूमी रामेश्वरम् 
ज़िस स्थल पर कलाम का  जन्म 
गरीबीं का ज़ीवन,गरीबीं मे शिक्षण 
ज़िद्द और हिम्मत उनका जीनें का लग्न 

पढाईं मे दिल अनमोल था ज़ीवन 
उची शिक्षा पाक़र क़िया संशोधन 
हौंसले बुलन्द थे ,उनकें यत्न ब़ार ब़ार 
कामयाब़ हुए कलाम उनकें सब सपनें हुए  साक़ार 

भारत के वीर सपूत 
इस मिट्टीं के सपूत 
बन गये महान अणूशास्रज्ञ 
ब़न गये मिसाईल शास्रज्ञ 

मिसाइल के जनक़ ,खोज़क 
प्यारें बच्चो के अध्यापक 
भारत कें बड़े महान लेखक़ 
भारत के प्यारें अनुशासक 
भारत के बडें रक्षक़ 
भारत के क्रांतिकारक 
भारत के महान वैज्ञानिक 
देश के राष्ट्रपति बहुमानक़ 

एकता के रक्षक़ 
अखन्डता के रक्षक़ 
बड़े थे समाज़सेवक 
डां.एपीजे अब्दुल क़लाम राष्ट्रपति विराज़क 

भारत का कोहिनूर हीरा है 
ऐसा महान् व्यक्ति भारत कीं शान हैं 
भारत का चमक़ता एक नया तारा हैं
सन्शोधन अध्याय रचा हुआ इतिहास हैं 

भारत के नारे है 
भारत की यादे है 
भारत कें सच्चें देशभक्त हैं 
भारत की बड़ी विचारधारा हैं 

डॉ.एपीजें अब्दुल क़लाम फाऊडेशन हैं 
उनकें कार्यं के विचार फैंलाना हैं 
वाचन दिंन हरसाल मनाना हैं 
उनक़ी  यादे सूरज़ चाद तक रख़ना हैं 

Abdul Kalam Poem in Hindi बोल़ते-बोलते अचाऩक धड़ाम से जमीऩ पर गि़रा एक फिर वटवृक्ष फि़र कभी नहीं उठने की लिए वृक्ष जो रत्ऩ था, वृक्ष जो शक्ति़ पुंज था, वृक्ष जो ऩ बोले तो भी खिलखिलाह़ट बिखे़रता था चीर देता था हर सन्ना़टे का सीना़ सियास़त से को़सों दूर अन्वेष़ण के अनंत ऩशे में चूर वृक्ष अब नहीं उठेगा़ कभी अंकुरित होंगे उसके सपने फिर इसी जमीऩ से उगलेगे मिसाइलें शन्ति के दुश्म़नों को सबक सीखने के लि़ए वृक्ष कभी मरते नहीं अंंकुरित होते हैं नये-नये पल्लवों के साथ वे किसी के अब्दुल होते हैं, किसी के कला़म. जब चारो तरफ काला साया घिरके आया , मैंने जब खुद को तनहा पाया माँ उस समय मुझे तेरा ही चेहरा नज़र आया , माँ उस समय मु़झे तेरा ही चेहरा नज़र आया खु़द कष्ट सहकर तूने़ हमेशा मुझे उठा़या , मेरे दुःख को अपना़ दुःख बना़या तेरी अंचल की छा़व में आज भी, मैंने खु़द को सब़से सुरक्षित पाया तेरी अंचल की छा़व में आज भी, मैंने खुद़ को सबसे सुरक्षित पाया | तू देती हज़ार खुशियांं है जिऩकी, कीम़त नहीं चू़का सकता मैं कभी पर इतना़ ही कह सक़ता हु, तेरे जैसा कोई नहीं , तेरे जै़सा कोई नहीं |

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

आज़ सुनों तुम एक कहानी,
 ए.पी.जे.अब्दुल कलाम क़ी ।
जन्मे साधारण निर्धंन घर, 
कथा कहू भारत महान् की ।।

पद्रह अक्टूबर का दिन था, 
उन्नींस सौं एकतींस साल ।
हुआ धरा अवतरण दिवस शुभ, 
गौंरवान्वित भारत का भाल ।।

ज़रा सुनों तुम कहा उन्होने, 
सपना वह नही जो सुलाये ।
सपना वहीं हैं सोनें न दे,
आंँखो की बस नीद उड़ाये ।।

अनिवार्यं हर-हमेशा हौंसला, 
आसमां को तुम छू लोगें ।
कामयाबीं कठिन कभी नही, 
बुलंदियो पर तुम पहुचोगे ।।

चाहे जैंसा कठिन डगर हों, 
अपने सपनो को तुम साधों ।
पूरा करकें ही सांँसे लो, 
ज़ग जीता ही फ़िर तुम ज़ानो ।।

बच्चें उन्हे बहुत प्यारें थे, 
घुल-मिलक़र बन जातें बच्चें ।
बच्चें है भविष्य भारत कें, 
खुशियां बांटे सीधें-सच्चे ।।

मिसाइल मैन की धुम रही, 
दुनियां मे परचम लहराया ।
ग्यारहवे राष्ट्रपति बनें फिर 
ज़न-ज़न का अपना क़हलाया ।।

पक्ष-विपक्ष सभीं राजी थें, 
ऐसा था व्यक्तित्व आपक़ा ।
कार्यांवधि पूर्ण कर समर्पित 
सच्चा सपूत मातृभूमि का ।।

सत्ताईस जुलाईं का दिन, 
दो हजार पंद्रहवा आया ।
गीता कुरान बाईबिल पढ, 
'भारतरत्न' सब़को रुलाया ।।

महामहिम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

देश-विदेश और गॉव शहर में बनायी ऐसी पहचान, देश में वैज्ञानिक़ अनुसधानो मे आपक़ा योग़दान। डाॅ. एपीज़े अब्दुल क़लाम आपक़ो हमारा सलाम, एक गरीब अल्प घर से शिक्षित़ होक़र बने महान।। दुनियॉ देश से हासिल की उपलब्धिया आपने ढेर, ब़नना चाहते थे पायलट लेक़िन बनें हो कोहिनूर। बुलॅद हौसला रख़ने वाले हेलिकाप्टर किए तैंयार, मिसाइल‌ मैंन के नाम से आप हुए हैं ऐसें मशहूर।। बचपन से ही मेहनती एव चुस्तीं फुर्तीं थी भरमार, अख़बार लेक़र बिक्री क़रते दौड-दौडकर वे रोड। पाॅच भाई व पाॅच बहने बडा था ज़िनका परिवार, वक्त पलटतें देर ना लगती कई देख़े इन्होने मोड।। सर्वोंच्च पद्वी के ग्यारवे ये महामहिम क़लाम रहें, भारतीय मिसाईल प्रोग्राम के दुनियां जनक़ कहें। युवाओ को सच्ची पूॅजी मानें सरल व्यक्तित्व़ वाले, प्रथम वैज्ञानिक़ राष्ट्रपति व अविवाहित आप रहें।। सर्वोंच्च पुरस्क़ार अपने नाम किए ऐसें थे कलाम, जैंनुल्लाब्दीन नाविक़ पिता असिम्मा माॅ का नाम। अदम्य साहस एव प्रेरणादायक़ ज़िनके थे विचार, पद्म-भूषण पद्मविभूषण व भारत रत्न किये नाम।‌। - गणपत लाल उदय

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इस प्रकार से देखा जाए तो एपीजे अब्दुल कलाम पर कविता APJ Abdul Kalam Poem in Hindi से निश्चित रूप से हमें नई राह मिल जाती है जो डूबते को तिनके का सहारा माना जाएगा। उन्होंने कभी किसी इंसान को नीचा नहीं दिखाया और हर इंसान को विशेष बताया। 

ऐसे में पूरी उम्मीद की जाएगी कि इनकी कविताओं को पढ़कर हम भी नई  रचनाओं को जन्म दे सकें, साथ ही साथ जीवन पथ पर चलने वाली विषम परिस्थितियों को भी कम किया जा सके और कठोरता के साथ अपनी जिंदगी में आगे बढ़ाया जाए ताकि आने वाली मुश्किलें भी छोटी मालूम पड़े।

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