Short Poem In Hindi Kavita

तिरंगे झंडे पर कविताएँ | Tiranga Jhanda Poem In Hindi

तिरंगे झंडे पर कविताएँ Tiranga Jhanda Poem In Hindi Our National Flag: हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा (Tricolour) हमारे प्यारे भारत इसके अतीत समृद्ध संस्कृति विरासत और सभी 140 करोड़ लोगों की आन बान और शान का प्रतीक है. यह झंडा उन्मुक्त गगन में यूं ही लहराता रहे इसकी खातिर लाखों स्वतंत्रता सैनानियों ने अपना जीवन अर्पित किया हैं.


आज भी तिरंगे की शान को बचाने हमारी सीमाओ पर वीर सिपाही दिन रात पहरा देते हैं.  हम सभी भारतवासियों का यह दायित्व हैं कि हम अपने वतन की शान इस झंडे की आन बान शान कम न होने दे. आज हम कुछ तिरंगे के उपलक्ष्य पर लिखी गई देशभक्ति कविताएँ यहाँ आपके साथ शेयर कर रहे हैं. उम्मीद करते हैं ये आपको पसंद आएगी.


तिरंगे झंडे पर कविताएँ | Tiranga Jhanda Poem In Hindi

Tiranga Jhanda Poem In Hindi

Here are short and big patriotic poems on the National Flag of India Tricolor for school students and kids from class 1 to 12. 


These poems can be recited on the Independence Day of 15 August and Republic Day on 26 January.

ऊंचा रहे तिरंगा

ऊँचा रहे तिरंगा भैया,
ऊँचा रहे तिरंगा

रहे न कोई भूखा नंगा
बच्चा बच्चा देश का चंगा
कहीं न होवे झगड़ा दंगा
ऊँचा रहे तिरंगा

हर बच्चे को मुफ्त दिलावें
कॉपी पेन्सिल और किताबें
अनपढ़ता का मिट जाए टंटा
ऊंचा रहे तिरंगा

सभी कहावे हिंदुस्तानी
सब ही बोलें प्यार की बानी
भेदभाव का कट जाए फंदा
ऊंचा रहे तिरंगा
ऊंचा रहे तिरंगा भैया
ऊँचा रहे तिरंगा

Poem On Tiranga In Hindi तिरंगा झंडा देशभक्ति कविता

ये तिरंगा ये तिरंगा ये हमारी शान है
विश्वभर में भारती की अमिट पहचान है
ये तिरंगा हाथ में ले पग निरंतर ही बढ़े
ये तिरंगा हाथ में ले दुश्मनों से हम लड़े
ये तिरंगा विश्व का सबसे बड़ा जनतंत्र है
ये तिरंगा वीरता का गूंजता इक मंत्र है
ये तिरंगा वन्दना है भारती का मान है
ये तिरंगा विश्व जन को सत्य का संदेश है

ये तिरंगा कह रहा है अमर भारत देश है
ये तिरंगा इस धरा पर शान्ति का संधान है
इसके रंगो में बुना बलिदानियों का नाम हैं
ये बनारस की सुबह है ये अवध की शाम है
ये कभी मन्दिर कभी ये गुरुओं का द्वार लगे
चर्च का गुम्बंद कभी मस्जिद की मीनार लगे

ये तिरंगा धर्म की हर राह का सम्मान है
ये तिरंगा बाइबिल है भागवत का श्लोक है
ये तिरंगा आयत ए कुरआन का आलोक है
ये तिरंगा वेद की पावन ऋचा का ज्ञान है
ये तिरंगा स्वर्ग से सुंदर धरा कश्मीर है

ये तिरंगा झूमता कन्याकुमारी नीर है
ये तिरंगा माँ के होठों की मधुर मुस्कान  है
ये तिरंगा देव नदियों का त्रिवेणी रूप है
ये तिरंगा सूर्य की पहली किरण की धुप है
ये तिरंगा भव्य हिमगिरी का अमर वरदान है
शीत की ठंडी हवा ये ग्रीष्म का अंगार है
सावनी मौसम में मेघों का छलकता प्यार है
झंझावतों में लहराए गुणों की खान है

ये तिरंगा लता की इक कुठुकती आवाज है
ये रविशंकर के हाथों में थिरकता ताज है
टैगोर के जनगीत जन गण मन का ये गुणगान है

ये तिरंगा गांधी जी की शान्ति वाली खोज है
ये तिरंगा नेताजी के दिल से निकला ओज है
ये विवेकानंद जी का जगजयी अभियान है
रंग होली के है इसमें ईद जैसा प्यार है

चमक क्रिसमस की लिए यह दीप सा त्यौहार है
ये तिरंगा कह रहा ये संस्कृति महान है
ये तिरंगा अंडमानी काला पानी जेल है
ये तिरंगा शांति और क्रांति का अनुपम मेल है
वीर सावरकर का ये इक साधना संगान है
- शिवांगी सिंह 

आज तिरंगा फहराया है कविता

आज तिरंगा फहराया है अपनी पूरी शान से
हमें मिली आजादी वीर शहीदों के बलिदान से

आजादी के लिए हमारी लम्बी लड़ाई चली थी
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी

व्यापारी बनकर आये और छल से हम पर राज किया
हमको आपस में लडवाने की नीति अपनाई थी

हमने अपना गौरव पाया अपने स्वाभिमान से
हमे मिली आजादी वीर शहीदों के बलिदान से

गाँधी तिलक सुभाष जवाहर का यह प्यारा देश है
जियो और जीने दो सबको देता ये संदेश हैं

प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर
हिन्द महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष हैं

लगी गूंजने दसो दिशाएं वीरों के यशगान से
हमें मिली आजादी वीर शहीदों के बलिदान से

हमें अपनी मातृभूमि इतना मिला दुलार है
इसके आंचल की छैया से ये छोटा संसार है

हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएगे
सच पूछो तो पूरा विश्व ही हमारा परिवार है

विश्व शांति की चली हवाएं अपने हिंदुस्तान से
हमें मिली आजादी वीर शहीदों के बलिदान से
हमें मिली आजादी वीर शहीदों के बलिदान से
- SACHI AGNIHOTRI

Aaj Tiranga Fahrata Hai Poem

पूछा है कभी सरहद पे लहू बहाने वाले से
तुम्हारे खून का रंग क्या है
श्वेत है कि केसरिया है या स्याह है
खून का रंग सबका लाल होता है मित्रों
और यही जीवन का यथार्थ है
कितने मुर्ख है हम और आप
जो इसमें भी भेद ढूढ़ते है
चंद लोगों की बातों में आकर
आपस में लड़ते है

यूँ तो हम अपने आप को
इक्कीसवीं सदी का कहते है
चंद सिक्के की खातिर पूरी
इंसानियत के कौम को बदनाम करते है
और गैर लोग हम पर आँख तरेरते है
किसकी जुर्रत है जो लड़ा सके भाई भाई को
किसकी मजाल है जो छेड़े दिलेर को
गर्दिश में घेर लेते है गीदड़ भी शेर को

समय का तकाजा है और वक्त की नजाकत है
महजबी जज्बातों से खुद को बचाना होगा
और हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सब एक ही है
ये दुनिया को दिखाना होगा
ये आजादी जो मिली हमें जाने कितनों की कुर्बानी से
हर्गिज न मिटने देगे इसे चंद लोगों की मनमानी से
प्राणों की आहुति दे कर भी देश की रक्षा करेगे
तिरंगे की कसम अब तिरंगे को अपने में भी झुकने ना देगे.

तिरंगे झंडे की कविता पोयम्स

विज़यी विश्व तिरंगा प्या़रा,
झंडा ऊँचा़ रहे ह़मारा।

स़दा शक्ति ब़रसाने वाला,
प्रेम सु़धा स़रसाने वाला
वीरो को ह़र्षाने वाला
मातृभूमि का तऩ-मन सारा,
झंडा ऊँचा रहे ह़मारा।

स्वतंत्रता के भीषण ऱण में,
लख़क़र जोश ब़ढ़े क्षण-क्षण़ मे,
का़पे शत्रु देख़क़र मन मे,
मिट जाये भय संक़ट सारा,
झंडा ऊँचा रहे ह़मारा।

इ़स झंडे के नीचे निर्भय,
हो स्वराज़ ज़नता का निश्चय़,
ब़ोलो भारत माता की ज़य,
स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,
झंडा ऊँचा रहे ह़मारा।

आ़ओ प्यारे वीरो आ़ओ,
दे़श-जाति़ पऱ बलि़-ब़लि जाओ,
एक़ साथ़ सब़ मिलक़र ग़ाओ,
प्यारा भारत देश हमारा,
झंडा़ ऊँचा रहे ह़मारा।

इसकी शान न ज़ाने पावे,
चाहे ज़ान भले ही ज़ावे,
विश्व-विज़य क़रके दिख़लावे,
तब़ होवे प्रण-पूर्ण ह़मारा,
झंडा ऊ़चा रहे ह़मारा।
श्यामलाल गुप्त पार्षद

Poem on Our National Flag in Hindi

रंग़ केसरिया मस्तक़ सज़ा,
श्वेत ह्रदय क़े मध्य, अशोक़ चक्र विराज़े,

हरित रंग़ आँचल में सोहत,
शोंभा ब़रन न जावे।

केसरी़ रंग़ वीरता का प्रतीक़,
श्वेंत रंग़ विश्व शाति क़ा,

अशोक़ चक्र संपन्नता क़ा,
हरा रंग़ देता हरियाली़ सीख़।

भारत-वर्ष का निज़ गौंरव ये,
राष्ट्र ध्वज क़ा मिला ऩाम,

नतमस्तक़ होते सब़ इसपें,
देतें इसक़ो सब़ सम्मान।

जांति-पातिं के बंधन से मुक्त,
तिरंगा सब़कों देता मान,

जो रख़ता तिरंगे कीं आन,
क़हलाते वो मानव महान।
- Nidhi Agarwal

हमारा तिरंगा हिंदी कविता

हमारा तिरंगा

देश का प्रतीक है यह,
हर हिंदुस्तानी के नज़दीक है यह।
हर डर भुला देता है,
एक जोश जगा देता है।

सूरज सा 'नारंगी' तेज है इसमें,
शांति का 'सफेद' संदेश है इसमें।
इसमे खुशिओं की 'हरियाली' है,
यह चक्रवर्ती 'चक्रधारी' है।

वो फसलों सा लहराता है,
वो हर ऊंचाई से ऊपर जाता है।
एक बच्चे सा भोला है यह,
वक़्त पड़ने पर दहकता शोला है यह।

मित्रों का मीत है यह,
हर बुराई पर जीत है यह।
जीने का अंदाज़ है यह,
अपनी माटी का एहसास है यह।

इसकी अलग ही शान है,
यह हमारा तिरंगा महान है।।

तिरंगे झंडे और आजादी पर देशभक्ति कविता

लिपट कर आज कई बदन तिरंगे में घर वापस आए हैं
लगता है फिर कई शूरवीरों ने अपने प्राण लुटाएं है

देख कर उनके चेहरों की चमकऔर शौर्य गाथाएं
हमें आज फिर एक बार भगत सुखदेव राजगुरु याद आए है

आजादी हमको याद रहती
लहू किनका बहा हम भूल जाते
क्यों आजादी के सारे किस्से हमे
आजादी के दिन ही याद आते

कह गये अलविदा वतन को वो भारत माँ के रखवाले
छोड़ गये वह देश अपना अब तो तेरे हवाले
बेशक आजादी तुझको याद रही पर भूल गया 
तू वो सीने पर गोली खाने वाले

कभी वक्त मिले तो जरा सोचना
मिट्टी माथे पर लगाना और
तिरंगे को चूमना
सोचना कि आजादी हम तुमसे आई थी
या
जो लड़ते लड़ते दफन हो गये इस मिट्टी में उन्होंने हमें दिलाई थी
- काव्या जैन

तिरंगा पर कविता। Poem On Tiranga In Hindi

तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो
जिसने आजादी को अपनी जिन्दगी बनाया
अपना आजादी के लिए हर एक सपना सच कर दिखाया
खून की नदियाँ बहाकर
उन्होंने तिरंगे को सीने से लगाया

तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो
जो गोलियों की बौछार को एक दहाड़ से डराते हैं
फौजी है वो इस देश के तिरंगे से इश्क की अलग दासता सुनाते है
मर मिटेगे इस देश के लिए इस मिट्टी के कर्जदार है
एक दिन तिरंगा ओढ़ कर इस मिट्टी में साँसे आखिरी बार है

तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो
जो जान की बाजी लगा कर चाँद पर तिरंगा फहराते है
जो मिट्टी का आशीर्वाद लेकर एवरेस्ट पर चढ़ जाते है
आँखों में बस तिरंगे को अव्वल देखने की आस
अब तो जय हिन्द बोलते है लोग और रुक जाती है दुश्मनों की सांस

तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो
जो धुप या बारिश हो कभी थकते नहीं
अन्नदाता है वो हमारे, हम उनके बिना जी सकते नहीं

इस रंगीले देश का तिरंगा है तीन रंगो का
तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो
जो करोड़ो की आबादी हो कर भी
अमन के रंग को भूले नहीं
लहू के रंग को भूले नहीं
इस मिट्टी के रंग को भूले नहीं
सलाम है हर उस हिन्दुस्तानी को
जो तिरंगे से ढके हुए घर में जिन्दा रख रहा इंसानियत को
तुम तिरंगे की अहमियत उनसे सीखो
- श्रावणी विभूते

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा कविता

भारत देश महान है ईश्वर का वरदान है
विश्व गुरु की ओर अग्रसर अपना हिंदुस्तान है

गाँधी नेहरू का परित्याग साहस के पर्याय आजाद
रानी झाँसी की तलवार भगत सुभाष की ललकार

आजादी की नींव बनाई लाल बाल और पाल ने
पांचजन्य का पाठ पढाया पंडित दीनदयाल ने

सीमा के सैनिक बलिदानी शौर्य हो गई उनकी दीवानी
मत भूलों इनकी कुर्बानी भूल गये ये अपनी जवानी

फहराए तिरंगा शान से गर्व और अभिमान से
शव पर लिपटे शोभा बढ़े शहीद के सम्मान से

केसरिया साहस दर्शाता श्वेत शांति का मार्ग बताता
हरा रंग खुशहाल बनाता चक्र जीवन की राह दिखाता
- सुधीर सिंह

तिरंगा देशभक्ति कविता

जो कहलाए सोने की चिड़ियाँ
मैं इस देश की वासी हूँ]
जो चले निडर कर्तव्य पथ पर
वो अचल अडिग अनिवासी हूँ
केसरिया, सफेद हरा
पहचान है मेरे देश की
ये नहीं है कोई मामुली रंग
बल शांति और हरियाली का प्रतीक हैं
इस जहाँ में अमन द्रश्यों का यह मीत है
कोई हिन्दू में फूट डाल रहा
सुलगा रहा कोई मुसलमानों को
यह तिरंगा ही है जो जोड़ रहा
इंसानियत से इन्सान को
यह तो मेरे इस देश की एकता का राज है
जिसका हिमालय भी सरताज है
ए देशवासियों तुम सुनो इन रंगो की पुकार को
कह रही है तुम सहेज लो यहाँ की संस्कृति
परम्परा और संस्कार को
श्रीराम की वंशज हूँ मैं गीता ही मेरी गाथा है
छाती ठोक कर कहती हूँ भारत ही मेरी माता है
- रजनी कुमारी

धूल की चाहत

कह दो हवाओं से मुझे हवाओं में उडाएं
धरती की धूल हूँ मुझे तिरंगे से मिलाए

मेरी तो किस्मत में है
लातों में आना
सडकों पर छाना
पानी में जाते ही मिट्टी कहलाना

उस मिट्टी से कोई तो कब्र बनाए
शहीद के सीने से मुझे लगाए

कह दो हवाओं से मुझे हवाओं में उडाएं
धरती की धूल हूँ मुझे तिरंगे से मिलाए

चाहत नहीं मुझे मन्दिर की
ना मस्जिद की
ना गिरजे की

अ तो कोई बस सीमा पर ले जाए
सैनिक के चेहरे पर मुझे सजाए
कह दो हवाओं से मुझे हवाओं में उडाएं
धरती की धूल हूँ मुझे तिरंगे से मिलाए

आंगन में खेले बच्चे
मुट्ठी भर मुझे उडाएं
रोग दोष के डर से
माँ उन्हें डाट लगाए
पर मेरे मन की पीड़ा किसे बताए
फैके कोई हवा में और हवा में मिलाए
फिर कह दो हवाओं से मुझे हवाओं में उडाए
धरती की धूल हूँ मुझे तिरंगे से मिलाए

छोड़ आए जो हवाएं तिरंगे पर मुझे
तब ना कोई सताए
जिन्दा भी शीश झुकाए
शहीद भी कफन बनाए

बख्श दे खुदा ऐसी जिन्दगी मुझे
कोई फैके हवा में और हवा में मिलाए
फिर कह दो हवाओं से मुझे हवाओं में उडाए
धरती की धूल हूँ मुझे तिरंगे से मिलाएं
- एकांश सोनी

हिन्दी कविता : चौबीस ती‍लियों वाला तिरंगा ध्वज

हे ध्वज़ा! राष्ट्र की, नींल-गगन पर फ़हरो,
उन्मुक्त पवन मे, लहर-लहर तुम लहरों। 
तेरा केसरिया रंग, वींर का ब़ाना,
सीख़ा हैं इससें, सबने प्राण लुटाना।
और श्वेत रंग, जो धवल चादनी सा हैं,

वह विश्व-शान्ति का, सब़को सदेशा हैं।
और हरित रंग जो, फैंला हरियाली सा,
वह उन्नति ऋद्धि-सिद्धि का, सदेशा हैं।
वह नींल चक्र, चौबीस ती‍लियो वाला,
आगे बढने की, बात करें मतवाला।
 
बस बढे देश का मान, न हो कुछ बाका,
हमको प्राणो से बढकर राष्ट्र-पताका।
हे ध्वज़ा! राष्ट्र क़ी, नील-गगन पर फ़हरो,
उन्मुक्त पवन मे, लहर-लहर तुम लहरों।

तिरंगा झंडा पर एक कविता

तिरंगा चूम रहा ग़गन को,
फ़हर रहा स्वतंत्र हवा मे,
गौंरव हैं भारत भूमि का,
चाहें नित शींश चढे सहस्त्रो,
पर तिरंगे की आन ब़ान शान ना ज़ाने पाये।
तिरंगें का हर रंग हैं संघर्षं की कहानी
क़ेसरिया रंग हैं भग़त सिंह, राज़गुरु, 
सुख़देव,चंद्रशेखर के बलिदान की क़हानी।
रंग सफ़ेद है लाल,बाल, पाल के धैर्यं का,
लाला लाज़पतराय के ख़ून के 
कतरें कतरें ने बोये आज़ादी के बीज़,
रंग हरा हैं लाल बहादुर का,
देख़ा स्वप्न धरती की हरियालीं का,
,पेट हो भरा चेहरें हो खिलें खिलें,
ये तिरंगा नही हैं मामूली,
इसमे हर रंग हैं त्याग का,
इसक़ी बुलन्दी को पहुचाने का भार हैं 
हर भारतवासीं के कन्धे पर।

उम्मीद करता हूँ दोस्तों तिरंगे झंडे पर कविताएँ | Tiranga Jhanda Poem In Hindi का यह कविता संग्रह आपको पसंद आया होगा. 

यदि आपको यहाँ दी गई तिरंगे पर देशभक्ति कविताएँ पसंद आई हो तो अपने सोशल मिडिया अकाउंट पर इस आर्टिकल की लिंक जरुर शेयर करें.

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