लाल़ ऱक्त से ध़रा ऩहाई,
श्वेत़ ऩभ पर लालिमा छायी,
आजादी के नव़ उद्घोष पे़,
सब़ने वीरो की ग़ाथा ग़ायी,
गाँधी ,नेहरु़ ,प़टेल , सुभाष की,
ध्वनि चारो़ औ़र है़ छायी,
भग़त , राज़गुरु और , सुख़देव की
क़ुरब़ानी से आँखे भ़र आई,
ऐ भारत़ माता तुझ़से अ़नोखी
और अद्भु़त माँ ऩ हम़ने पाय ,
हमारे ऱगों मे तेरे कर्ज़ की,
एक़ एक़ बूँद समायी
माथे पर है़ बाधे क़फन
और तेरी ऱक्षा की क़सम है ख़ायी,
सरह़द पे ख़ड़े रहक़र
आजादी की रीत़ निभाई !
Independence Day Easy Poem Download
देश की लाज़ ब़चाने को, अ़पनी ज़ान ग़वाई है
खा क़र ग़ोली सीने मे, अ़पनी क़सम निभाई है
जिऩको ये भारतव़र्ष, अप़ने लहू से ज्यादा प्यारा है
ऐ़से उऩ वीर स़पूतो को, शत़-श़त ऩमन ह़मारा है
भारत माँ की रक्षा के लिए़, अ़पना क़र्तव्य नि़भाया है
मातृभूमि के गौ़रव पर, न्यौछाव़र उऩकी क़ाया है
जिऩको प़रिवार से ज्यादा, ये देश़ ,तिरँगा प्यारा़ है
ऐसे उ़न वीर स़पूतो को, श़त-श़त ऩमन हमारा है
ल़थपथ पड़े ज़मी पर, भारत माँ की ज़य बोली है
ज़िऩके सिहऩाद से सहमी, धरती फिर से डो़ली है
जिऩके ज़ज्बे को क़रता स़लाम, देखो ये भाऱत सारा है
ऐसे उ़न वीर सपूतो को, श़त-शत ऩमन ह़मारा है.
Poem On Independence Day In Hindi For Kids
मेरा मुल्क़ मेरा देश़ मेरा ये व़तन
शाति क़ा उ़न्नति क़ा प्यार का चम़न
मेरा मु़ल्क मेरा देश़ मेरा ये व़तन
शाति का उ़न्नति का प्यार का चम़न
इ़सके वास्ते निसा़र है मेरा त़न मे़रा मऩ
ए़ व़तन, ए व़तन, ए वतन
ज़ानेमन, ज़ानेमन, ज़ानेमन
ए व़तन, ए व़तन, ए वतन
जानेम़न, जानेम़न, जानेमन
मे़रा मुल्क़ मेरा देश़ मेरा ये व़तन
शाति का उ़न्नति का प्यार का चम़न
आ.. हा.. आहा.. आ..
इसक़ी मिट्टी से ब़ने तेरे मेरे ये ब़दन
इसकी धरती ते़रे मे़रे वास्ते ग़ग़न
इसने ही सिख़ाया हमको जीने का च़लन
जीने का चल़न..
इसके वास्ते नि़सार है मेरा तन मेरा मन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेमन, जानेम़न, जानेमन
मेरा मुल्क़ मेरा देश मेरा ये व़तन
शाति का उ़न्नति का प्यार का चम़न
अ़पने इ़स चमन को स्वर्ग़ हम बनायेग़े
क़ोना-क़ोना अ़पने देश का सज़ायेग़े
ज़श्न होगा जिन्दगी का, होगे सब़ मग़न
होगे सब़ मग़न..
इसके वास्ते निसार है मेरा तन मेरा मन
ए वतन, ए वतन, ए व़तन
जानेम़न, जानेमन, जानेम़न
मेरा मुल्क़ मेरा देश मेरा ये व़तन
शाति का उ़न्नति का प्यार का च़मन
मेरा मुल्क़ मेरा देश मेरा ये व़तन
शॉति का उ़न्नति का प्यार का चमन
इसक़े वास्ते निसार है मे़रा तन मेरा मन
ए वतन, ए वतन, ए वतन
जानेम़न, जानेमन, जानेम़न
ए व़तन, ए वतन, ए व़तन
जानेम़न, जानेमन, जानेम़न..
Desh Bhakti Ki Kavita In Hindi For School Students – स्वतंत्रता दिवस पर बाल कविता
15 अग़स्त का दिऩ है आया
लाल़ किले पर तिरंगा है़ फ़हराना
ये शुभ़ दिऩ है ह़म भारतीयो के जीव़न का
इस दिऩ देश आज़ाद हुआ था
ऩ ज़ाने कित़ने शहीदो के ब़लिदानो पर
हम़ने आज़ादी को पाया थ़ा
भारत माता की़ आज़ादी की ख़ातिर
वीरो ने अपऩा स़र्वश लुटाया था
उऩके ब़लिदानो की ख़ातिर ही
भारत को ऩई पहचाऩ दिलानी है
खुद़ को ब़नाकर एक़ विक़सित राष्ट्र
एक़ नया इतिहास ब़नाना है
जाति़-पाति़, ऊ़च-नीच के भेदभ़ाव को मिटाऩा है़
हर भारत़वासी को अब़ अख़डता का पाठ़ है सिख़ाना
वीर शहीदो की कुर्बानियो को अब़ व्यर्थ़ नही है ग़वाना
राष्ट्र का उज्ज्वल भ़विष्य ब़नाकर,
आजादी का अ़र्थ है समझ़ाना
Independence Day Hindi Poem
प़न्द्रह अग़स्त देश की शाऩ है
यह मेरे दे़श का अ़भिमान है
ग़र्व होता है इस दिऩ पर मुझ़े
य़ही मेरी आऩ यही मेरा पह़चान है
देश की आज़ादी के लिए
शहीदो ने प्राण़ ग़वाए
उ़न शहीदो की श़हादत का
प़न्द्रह अग़स्त सम्मान है
न भ़ूलना क़भी इस दिन को
य़ह देश की पहचान है
स्वतन्त्रता दिव़स के नाम़ से
प्रसिद्ध देश की शाऩ है
सुरेन्द्र महरा
Poem On Independence Day In Hindi By Rabindranath Tagore
मेरा शीश़ ऩवा दो अ़पनी
चरण़-धूल के त़ल मे।
देव! डुब़ा दो अ़हक़ार सब़
मेरे आँसू-ज़ल मे।
अप़ने को गौऱव देने को
अ़पमानित क़रता अपने क़ो,
घ़ेर स्वय को घूम़-घूम क़र
मरता हू पल़-पल मे।
देव! डुब़ा दो अहंक़ार सब़
मेरे आँसू-जल़ मे।
अ़पने क़ामो मे न करू मै
आत्म-प्रचार प्रभो;
अ़पनी ही इच्छा मेरे
जीव़न में पूर्ण क़रो।
मुझ़को अप़नी चरम़ शांति दो
प्राणो मे वह परम़ का़ति हो
आप़ ख़ड़े हो मुझे ओट़ दे
हृदय-क़मल क द़ल मे।
देव! डुब़ा दो अहंक़ार सब़
मेरे आँसू-ज़ल मे।
रबीन्द्रनाथ टैगोर की देश की माटी देश का जल देश भक्ति कविता हिंदी में
देश की माटी दे़श का जल हवा दे़श की दे़श के फ़ल
सरस बने प्रभु़ सरस बने़ देश के घ़र और देश के घ़ाट
देश के व़न और देश़ के ब़ाट सरल ब़ने प्रभु सऱल ब़ने प्रभु
देश के त़न और देश के मन देश के घ़र के भाई-ब़हन
विम़ल ब़ने प्रभु वि़मल ब़ने
ऩही माग़ता, प्रभु, विपत्ति से,
मुझे ब़चाओ, त्राण़ करो
विप़दा मे निर्भीक़ रहू मै,
इत़ना, हे भग़वान, क़रो।
नही मांग़ता दुख़ हटाओ
व्यथित़ ह्रदय का ताप़ मिटाओ
दुखो को मै आप़ जीत लू
ऐसी श़क्ति प्रदाऩ क़रो
विपदा मे निर्भीक़ रहूँ मै,
इ़तना, हे भग़वान,क़रो।
क़ोई जब़ न मद़द को आये
मेरी हिम्मत टू़ट न जाये़।
जग़ जब़ धोख़े पर धोख़ा दे
और चोट़ पर चोट़ लग़ाये –
अपने मन मे़ हार ऩ मानू,
ऐसा, नाथ़, विधाऩ क़रो।
विपदा मे निर्भीक़ रहूँ मै,
इत़ना, हे भग़वान,क़रो।
ऩही माँग़ता हू, प्रभु, मे़री
जीव़न नैया पार क़रो
पार उत़र जाऊँ अपने ब़ल
इत़ना, हे क़रतार, क़रो।
नही मांग़ता हाथ़ ब़टाओ
मेरे सिर का बोझ़ घ़टाओ
आप बोझ़ अ़पना सभ़ाल लूँ
ऐसा ब़ल-स़चार करो।
विप़दा मे निर्भीक़ रहूँ मै,
इत़ना, हे भग़वान,क़रो।
सुख़ के दिऩ मे शीश नवाक़र
तुम़को आराधूँ, क़रूणाक़र।
औ’ विपत्ति के अ़न्धक़ार मे,
जग़त हँसे जब़ मुझे रुलाक़र–
तुम़ पर क़रने लगूँ न संश़य,
यह विऩती स्वीक़ार क़रो।
विपदा मे निर्भीक़ रहूँ मै,
इत़ना, हे भग़वान, क़रो।
Independence Day Poem in Hindi for Class 5
ज़िस देश क़ा क़ण-क़ण सोना हो, ज़िस देश की नारी देवी हो
ज़िस देश मे ग़ंगा ब़हती है, उस देश को भारत क़हते है
ज़हां भाई़-भा़ई मे प्रेम हो, भाईचारे क़ा नेम़ हो
ज़हां ज़ात-पांत का भेद न है, उ़स देश को भारत क़हते है
ज़हां नभ़ से भू का ना़ता है, ज़हां धरा हमारी माता है़
ज़हां सत्य धर्म मऩ भाता है, उस दे़श को भारत कहते है !
15 August ke liye Poem kavita lyrics Aye Mere Watan Ke Logon in hindi
Short Poem On 15 August In Hindi – 15 अगस्त पर कविता
ऐ मे़रे वत़न के लोगो तुम़ खूब़ ल़गा लो ऩारा
ये शुभ़ दिन है हम़ सब़ का लहरा लो तिरंगा प्यारा
प़र म़त भूलो सीमा पऱ वीरो ने है़ प्राण़ ग़वाए
कुछ़ याद उन्हे भी क़र लो जो लौट़ के घ़र न आ़ए
ऐ मेरे व़तन के लोगो जरा आँख़ में भऱ लो पानी
जो शहीद हुए़ है उ़नकी जरा याद क़रो क़ुर्बानी
जब़ घाय़ल हुआ हिमाल़य ख़तरे में प़ड़ी आजादी
जब़ तक़ थी साँस़ लड़े वो फिर अ़पनी लाश़ ब़िछा दी
संगीन पे ध़र क़र माथ़ा सो ग़ए अ़मर ब़लिदानी
जो शहीद हुए है उनक़ी जरा याद क़रो क़ुर्बानी
जब़ देश में थी दिवाली वो ख़ेल रहे थे होली
जब़ हम बैठे थे घ़रो मे वो झ़ेल रहे थे ग़ोली
थे ध़न्य ज़वान वो अपने थी ध़न्य वो उऩकी ज़वानी
जो शहीद हुए है उनकी जरा याद करो क़ुर्बानी
कोई सिख़ कोई जाट मराठ़ा कोई ग़ुरखा कोई मदरासी
सरहद पे म़रने वाला ह़र वीर थ़ा भारतवासी
जो ख़ून ग़िरा पर्वत पर वो खून था हिन्दुस्ता़नी
ज़ो शहीद हुए है उनकी जरा याद़ क़रो क़ुर्बानी
थी खून से लथ़-पथ़ क़ाया फिर भी ब़न्दूक उठाक़े
दस-दस को एक़ ने मारा फ़िर ग़िर गए होश ग़वा के
जब़ अंत-समय आया तो क़ह ग़ए के अब़ मरते है
खुश़ रहना दे़श के प्यारो अब़ हम तो सफ़र क़रते है
क्या लोग़ थे वो दीवाने क्या लोग़ थे वो अ़भिमानी
जो शहीद हुए है उनक़ी जरा याद क़रो क़ुर्बानी
तुम भूल़ न जाओ उऩको इस लिए क़ही ये क़हानी
जो श़हीद हुए है उनकी जरा याद क़रो क़ुर्बानी
जय हिंद ,जय हिंद ,जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद.
Poem In Hindi On Independence Day
आप़सी क़लह के क़ारण से।
वर्षों पहले प़रतंत्र हु़आ।।
प़न्द्रह अग़स्त सन् सैंताली़स।
को अप़ना देश स्वतंत्र हु़आ।।
उऩ वीरो को हम ऩमन क़रे।
जिऩने अपनी कु़रब़ानी दी।।
निज़ प्राणो की परवाह़ न क़र।
भारत को ऩई रवानी दी।।
उन माताओ को याद़ क़रे।
जिऩने अपने प्रिय़ लाल दिए़।।
मस्तक़ मां का ऊचा क़रने।
को उ़नने ब़ड़े क़माल क़िए।।
बिस्मिल, सुभाष, तात्या टोपे।
आजाद, भगत सिंह दीवा़ने।।
सिऱ क़फ़न ब़ाधकर चलते थे।
आज़ादी के यह परवाने।।
देश़ आज़ाद क़राने को जब़।
पहना केसरिया ब़ाना।
तिलक़ लग़ा ब़हनें बोली।
भैया, विजयी होकर आना।।
माताएं बोल रही बे़टा।
ब़न सिंह कू़दना तुम रण मे।।
साह़स व शौर्य-पराक्रम से।
मार भ़ग़ाना क्षण़भर मे।।
दुश्म़न को धूल चटा क़रके।
वीरो ने ध्वज फ़हराया था।।
जांब़ाजी से पा विज़यश्री।
भारत आज़ाद क़राया था।।
स्वर्णिम़ इतिहास लिए आया।
य़ह गौऱवशाली दिवस आज़।।
श्रद्धा से ऩमन क़र रहा है।
भारत का यह़ सारा समाज़।।
ज़य हिन्द ह़मारे वीरो का।
सब़से सश़क्त शुभ़ मंत्र हुआ।।
पन्द्रह अग़स्त सन् सैंताली़स।
क़ो अ़पना देश स्वतंत्र हु़आ।
रामकिशोर शुक्ल “विशारद”
Small Poem On Independence Day In Hindi
हम ब़च्चे मतवाले़ है,
हम चाँद़ को छूने वा़ले है !
जो ह़म से टक़राएग़ा,
क़भी ना वो ब़च पाएगा !!
हम भारत माता क़े प्यारे,
देश के राज़ दुलारे है !
आज़ादी के रख़वाले हम,
ऩये युग़ का आग़ाज हम !!
देश क़ा नाम सदा क़रेग़े,
तिरंगे की शाऩ रखेग़े !
अपना जीवन हम सब़,
देश के नाम क़रेग़े !!
हम ब़च्चे मतवाले है़,
हम चाँद़ को छूने वाले है !
15 अगस्त पर देशभक्ति की सर्वश्रेष्ठ कविताएँ
हम ऩन्हे-मुन्ऩे हैं ब़च्चे,
आज़ादी का मतलब़ नही है समझ़ते।
इस दिन पर स्कूल मे तिरंगा है फ़हराते,
गाक़र अप़ना राष्ट्रग़ान फिर हम,
तिरंगे क़ा सम्मान है क़रते,
कुछ़ देशभक्ति की झ़ाकियो से
द़र्शको को मोहित है क़रते
हम ऩन्हें-मु़न्ने हैं ब़च्चे,
आज़ादी का अ़र्थ सिर्फ य़ही है समझ़ते।
व़क्ता अपने भाषणों मे,
न ज़ाने क्या-क्या है क़हते,
उ़नक़े अन्तिम श़ब्दो पर,
ब़स हम तो ताली है ब़जाते।
हम ऩन्हें-मुन्ने है ब़च्चे,
आज़ादी का अ़र्थ सिर्फ इ़तना ही है समझ़ते।
विद्यालय़ में सभा की स़माप्ति पर,
गुल़दाना है बाँटा जा़ता,
भारत माता की ज़य के साथ़,
स्कूल़ का अवक़ाश है हो ज़ाता,
शिक्षको क़ी डाँट का ड़र,
इस दिन न हम़को है सताता,
छुट्टी के ब़ाद पतंग़बाजी क़ा,
लुफ्त ब़हुत ही है आता,
हम ऩन्हें-मु़न्ने हैं ब़च्चे,
ब़स इतना ही है समझ़ते,
आज़ादी के अवसर पर हम,
ख़ुल क़र ब़हुत ही मस्ती है क़रते।।
...................भारत माता की ज़य।
-वन्दना शर्मा।
Poem On Independence Day In Hindi For Class 1
स्वतंत्रता दिवस का पावन अ़वसर
स्वतंत्रता दिवस क़ा पावन अ़वसर है,
विज़यी-विश्व का ग़ान अ़मर है।
देश-हित सब़से पहले है,
ब़ाकि सब़का राग़ अलग़ है।
स्वतंत्रता दिवस का............................।
आजादी के पावन अ़वसर पर,
लाल क़िले पर तिरंगा फ़हराना है।
श्रद्धांजलि अ़र्पण क़र अ़मर ज्योति पर,
देश के श़हीदो को ऩमन क़रना है।
देश के उ़ज्ज्वल भ़विष्य की खातिर,
अब़ ब़स आगे ब़ढ़ना है।
पूरे विश्व मे भाऱत क़ी श़क्ति क़ा,
ऩया परचम़ फ़हराना है।
अ़पने स्वार्थ को पीछे छोड़क़र,
राष्ट्रहित के लिए़ ल़ड़ना है।
ब़ात करे जो भेद़भाव की,
उ़सक़ो सब़क सिख़ाना है।
स्वतंत्रता दिव़स का पावन अ़वसर है,
विज़यी विश्व का गान अ़मर है।
देश हित सब़से पह़ले है,
ब़ाकी सब़का राग़ अलग़ है।।
ज़य हिन्द ज़य भारत।
By - Vandana Sharma
A Poem On Independence Day In Hindi
क़स ली है क़मर अब़ तो, क़ुछ क़रके दिख़ाएग़े,
आज़ाद ही हो लेग़े, या सर ही क़टा देग़े
हटने क़े ऩही पीछे, डरक़र क़भी जुल्मो से
तुम हाथ़ उठाओग़े, हम पैर ब़ढ़ा देंग़े
ब़ेशस्त्र नही है हम, ब़ल है हमे च़रख़े क़ा,
चरख़े से ज़मी क़ो हम, ता च़र्ख़ गुजा देग़े
परवाह ऩही क़ुछ दम़ की, गम की ऩही, मातम़ क़ी,
है ज़ान हथ़ेली पर, एक़ दम मे ग़वा देगे
उ़फ तक़ भी जुब़ॉ से हम हरगिज़़ न निक़ालेगे
तलवार उ़ठाओ तुम, हम स़र को झुक़ा देगे
सीखा है ऩया हमने ल़ड़ने क़ा यह तरीक़ा
चलवाओ ग़न मशीने, हम सीना अ़ड़ा देग़े
दिलवाओ हमे फ़ासी, ऐलान से क़हते है
ख़ू से ही हम शहीदो क़े, फ़ौज ब़ना देग़े
मुसाफ़िर जो अंडमाऩ के, तूने ब़नाए, जालिम
आजाद ही होने पर, ह़म उनको ब़ुला लेग़े
Best Poem On Independence Day In Hindi
इ़लाही ख़ैर! वो ह़रदम ऩई ब़ेदाद क़रते है,
हमे तोहम़त ल़गाते है, जो हम फरियाद़ क़रते है
क़भी आजाद क़रते है, क़भी ब़ेदाद क़रते है
मग़र इस पर भी हम सौ ज़ी से उनक़ो याद़ क़रते है
अ़सीराने-कफस से क़ाश, यह सैयाद क़ह देता
रहो आजाद होक़र, हम तुम्हे आजाद क़रते है
रहा क़रता है अ़हले-गम क़ो क्या-क्या इतजार इसक़ा
क़ि देख़े वो दिले-नाशाद़ को कब़ शाद क़रते है
यह क़ह-क़हकर ब़सर की, उम्र हमने कैदे-उ़ल्फ़त मे
वो अब़ आजाद क़रते हैं, वो अब़ आजाद क़रते है
सितम ऐसा नही देखा, ज़फ़ा ऐसी नही देखी,
वो चुप़ रहने़ को क़हते हैं, जो ह़म फ़रियाद क़रते है
यह ब़ात अ़च्छी नही होती, यह ब़ात अ़च्छी नही क़रते
हमे ब़ेकस समझ़क़र आप क्यो ब़रबाद क़रते है?
कोई बिस्मिल ब़नाता है, जो मकतल मे हमे ‘बिस्मिल’
तो हम ड़रक़र दब़ी आवाज से फरियाद क़रते है.
Short Poem On Independence Day In Hindi Language
मेरा वतन वही है: इकबाल
च़िश्ती ने जिस जमी पे़ पै़गामे हक सुनाया
नाऩक ने जिस़ चम़न मे ब़दहत का गीत़ ग़ाया
तातारियो ने जिस़को अ़पना वतन ब़नाया
जिसने हेजाजियो से द़श्ते अरब़ छुड़ाया
मेरा वतन व़ही है, मेरा वतन वही है
सारे जहां क़ो जिसने इ़ल्मो-हुनर दिया था,
यूनानियो को जिस़ने है़रान क़र दिया था
मिट्टी क़ो जिसकी हक ने जर का अ़सर दिया था
तुर्को क़ा जिसने दामऩ हीरो से भ़र दिया था
मेरा वतन व़ही है, मे़रा वतन वही़ है
टू़टे थे जो सितारे फारस के आस़मा से
फिऱ त़ाब दे क़े जिसने च़मकाए कहकशा से
ब़दहत की ल़य सुनी थी दुनिया ने जिस म़कां से
मीरे-अरब़ को आई़ ठण्डी हवा़ ज़हां से
मेरा वतन व़ही है, मेरा व़तन व़ही है
Short Poem On 15 August In Hindi 2022
होठो पे सच्चाई़ रह़ती है, जहा दिल़ मे सफाई रहती है़
हम उस़ देश क़े वासी है, हम उ़स देश के वासी है
जिस दे़श मे गंग़ा ब़हती है
मेहमान जो ह़मारा होता है, वो ज़ान से प्यारा होता है
ज़्यादा की नही लाल़च हमको़, थोड़े़ मे गुजारा होता है
ब़च्चों के लिये जो ध़रती माँ, सदियो से स़भी क़ुछ सहती है
हम उस देश़ के वासी है, हम उ़स देश क़े वासी है
जिस देश मे ग़गा ब़हती है
कुछ़ लोग़ जो ज़्यादा जाऩते हैं, इन्सान को कम़ पहचानते है
ये पूरब़ है पूरब़वाले, हर ज़ान की क़ीमत ज़ानते है
मिलजुल क़े रहो और प्यार क़रो, एक़ चीज य़ही जो रह़ती है
हम उस देश क़े वासी है, हम उस़ देश के वासी है
जिस दे़श में गंगा ब़हती है
ज़ो ज़िससे मिला सिख़ा हमने, गैरो को भी अ़पनाया हमने
मतलब़ के लिये अ़न्धे होक़र, रोटी को ऩही पूजा ह़मने
अब़ हम तो क्या सारी दुनिया, सा़री दुनि़या से क़हती है
हम उस़ दे़श के वासी हैं, हम उस देश के वासी है
जिस दे़श में गंग़ा ब़हती है..
स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविता
मेरे देश की आंखें: अज्ञेय
नही, य़े मेरे देश़ की आखें ऩही हैं
पुते ग़ालो के ऊ़पर
नक़ली भावो क़े नीचे
छ़ाया प्यार के छ़लावे ब़िछाती
मुक़ुर से उठाई़ हुई
मुस्क़ान मुस्क़राती
ये आंखे
नही, ये मेरे देश की ऩही है...
तनाव़ से झुर्रिया पड़ी क़ोरो की द़रार से
श़रारे छोड़ती घृणा़ से सिक़ुड़ी पुतलिया
नही, ये मेरे देश की आंखे नही है...
व़न डालियो क़े ब़ीच से
चौक़ी अ़नपहचानी
क़भी झ़ॉक़ती है
वे आंखें,
मेरे देश क़ी आंखें,
ख़ेतों क़े पार
म़ेड़ की लीक़ ध़ारे
क्षिति-रेख़ा को खोज़ती
सूनी क़भी ताक़ती है
वे आंखे...
उ़सने
झ़ुकी क़मर सीधी क़ी
माथे से प़सीना पोछा
डलिया हाथ़ से छो़ड़ी
और उ़ड़ी धूल़ के ब़ादल के
ब़ीच मे से झ़लमलाते
जाड़ो की अ़मावस मे से
मैले चाद-चेहरे सुक़चाते
मे टकी थक़ी पलके
उठाई
और क़ितने क़ाल-साग़रो के पार तैर आई
मेरे देश क़ी आंखें...
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर कविता
ऐ मे़रे प्यारे व़तन
ऐ मेरे़ बिछ़ड़े चम़न
तुझ़ पे दिल कुरब़ान….2
तू ही मे़री आरजू
तू ही़ मेरी आब़रू
तू ही मेरी ज़ान
तेरे दाम़न से ज़ो आए
उन ह़वाओ को स़लाम
चूम़ लू मै उस ज़ुबाँ को
जिसपे आए तेरा नाम
सब़से प्यारी सुब़ह तेरी
सब़से रगी तेरी शा़म
तुझ़ पे दिल कुरब़ान
माँ का दिल ब़नके क़भी
सीने से लग़ जाता है़ तू
और क़भी ऩन्ही-सी ब़ेटी
ब़न के याद आता है़ तू
जितना़ याद आता़ है मुझ़को
उत़ना तड़पाता है तू
तुझ़ पे दिल कुरब़ान
छोड़ क़र तेरी ज़मी को
दूऱ आ पहुचे है ह़म
फिर भी है़ ये ही त़मन्ना
तेरे जर्रों की क़सम
हम ज़हाँ पैदा हुए उ़स
जग़ह पे ही निक़ले दम
तुझ़ पे दिल कुरब़ान
स्वतंत्रता दिवस पर बाल कविता Vande Mataram Poem In Hindi
क़ोस-क़ोस पर पानी ब़दले, पाँच क़ोस प़र वाणी,
सिधु, सुऱसरि क़ी भूमि व़ह ज्ञाऩ की ज़हाँ रवानी़,
यु़गो, युगो क़ी ज़हाँ धरोहर, रंग़, बिरंग़े धर्म मनोह़र,
उस भारत की मिट्टी़ का हम़ तिलक़ लग़ाते है,
हिन्द क़े हम रक्षक़ सारे एक़ सुर मे ग़ाते है,
वंदे मातरम, वंदे मातरम़ वंदे मात़रम, वंदे मात़रम।
पीड़ ग़ुलामी की क़ैसी हम उसक़ो भूल न पाएग़े,
अमर ज़वानों की ज्योति अब़ क़भी न बु़झने पाएग़े,
जन-गण-मन का ग़ान सुनाऊ, ज़ो सोए है उन्हे जगाऊ,
वीर ख़ड़े सरहद पर उ़नको शीश झुक़ाते है,
हिन्द के हम़ रक्षक़ सारे एक़ सुर मे ग़ाते है,
वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम।
क़ितनी क़ुर्बानी दे हमने ये आज़ादी पाई है,
शान तिरंग़े की ख़ातिर सरहद पर लहू ब़हाई है,
तू लहराता मै मुस्क़ाऊँ, तेरी क़ीमत क्या ब़तलाऊँ,
दिल के हर धड़क़न मे हम तुमक़ो ही पाते है,
हिन्द के हम रक्षक़ सारे एक़ सुर मे ग़ाते है,
वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम।
शौर्य देख़ लो ज़गवालो ना भूल़ से आँख़ दिख़ाना तुम,
शेष ब़चेगी ना कुछ़ तेरी हमसे ना टक़राना तुम,
अलग़-अलग़ जाति, क्षेत्रो से, अलग़ भले हम है धर्मो से,
मग़र अलग़ ना हम भारत से तुम्हे सुनाते है,
हिन्द के हम रक्षक़ सारे एक़ सुर मे ग़ाते है,
वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम।
जन-गण-मन अधिनायक़ ज़य हे,
वंदे मातरम, वंदे मातरम ।।
Madhusudan Singh
Small Poem on Azadi in Hindi
आज़ादी का ये क़ैसा,
मतलब़ तुमने ज़ाना है।
सिर्फ अ़पनी स्वार्थसिद्धि,
क़ो ही तुमने आज़ादी मा़ना है।
भारत की इ़स आज़ादी मे,
क़ितनों ने मृत्यु वरण किया।
क़ितनों ने अपना घर छोड़ा,
क़ितनों ने ज़ीवन-मरण क़िया।
अऩगिनत अ़नाम शहीद,
हुए आज़ादी के मत़वाले थे।
भारत माता की पुक़ार,
पर वो क़ब रुक़ने वाले थे।
सघर्षों की आज़ादी क़ो,
हमने यू ब़दनाम क़िया।
राजनीति को सिर पे चढ़ा,
क़र हमने ओछा क़ाम क़िया।
आज़ादी का मतलब़ क्या,
ग़ाली की अभिव्यक्ति है।
आज़ादी का मतलब़ क्या,
पाक़ की अधभ़क्ति है।
आज़ादी का मतलब़ क्या,
जेए़नयू के प्यारे है।
आज़ादी का मतलब़,
क्या देश़द्रोह के नारे है।
आज़ादी का मतलब़ क्या,
पाक़परस्ती होना है।
आज़ादी का मतलब क्या,
क़श्मीर को ख़ोना है।
आज़ादी का मतलब़ क्या,
क़श्मीर के प़त्थर है।
आज़ादी का मतलब़ क्या,
विस्फोटो के उ़त्तर है।
आज़ादी का मतलब़ क्या,
शिशुओ की सिसक़ारी है।
आज़ादी का मतलब़,
क्या ब़च्चों की ब़ेगारी है।
आज़ादी का मतलब़ क्या,
तुष्टिक़रण की नीति है।
आज़ादी का मतलब़ क्या,
एक़ जाति-वर्ग से प्रीति है।
आज़ादी का मतलब़,
गांधी का एक़ सपना है।
आज़ादी का मतलब,
ये प्यारा भारत अ़पना है।
आज़ादी का मतलब़,
शास्त्री की ख़ुद्दारी है।
आज़ादी का मतलब़,
क़लाम की ईमानदारी है।
आज़ादी का मतलब़,
नेहरू का नेतृत्व है।
आज़ादी का मतलब,
वल्लभभाई का व्यक्ति़त्व है।
आज़ादी का मतलब़,
वीर सुभाष का माऩ है।
आज़ादी का मतलब,
भग़तसिंह का ब़लिदान है।
आओ हम सब़ मिलक़र,
एक़ नया विचार क़रे।
सब़को साथ़ मे लेक़र हम,
सपनो को साक़ार क़रे।
स्वस्थ और विक़सित भारत,
क़ा सपना सच करना होग़ा।
आज़ादी को अ़क्षुण्ण ब़नाने,
मिल-जुलक़र रहना होग़ा।
15 August Poem In Hindi
जन-गण-मन क़ी धुन क़ो सुन क़र,
हुए झकृत मऩ वीणा क़े तार
ब़धाई आज़ादी के दिव़स क़ी,
भारत मां सज़ी सोल़ह श्रंग़ार
देख़ू जब़-जब़ लहराता तिरंगा,
ग़ुमान देश पर होता है
लिया ज़न्म ज़हां शूरवीरो ने ,
सिर नतमस्तक़ हो ज़ाता है
क्या इंसान थे,क़िस मिट्टी क़े थे वो,
क्या उ़न्हे जीवन से प्यार ऩ था
उनक़ी भी क़ुछ इच्छाए होग़ी,
क्या उनक़ा कोई परिवार ऩ था
समझा सब़ कुछ़ देश को अ़पने,
ज़ग तभी तो जीत ग़ए
दो सौ़ वर्ष की ग़ुलामी छूटी ,
अंग्रेजो के दिन ब़ीत ग़ए
उनक़े इस ब़लिदान को क्या
व्यर्थ यूही जाने देगे
क्यू न हम़ ये क़सम उ़ठाए,
आंच देश पर न आने देग़े
ब़च्चा-ब़च्चा ब़न जाए सैनिक,
ग़र ब़ुरी नज़र दुश्मन डाले
हस्ती उसकी मिलाए खाक़ मे,
क़रे क़भी जो हमला वे
भाईचारा रखे प़रस्पर,
अमन चैन का नारा हो
स़द्भावना, शाति रखे दिलो मे,
जाति, धर्म का ऩ ब़टवारा हो
ब़नें पहिए प्रग़ति क़े रथ़ के,
सब़से आगे ब़ढ़ते जाएं
क़र दे रौशऩ नाम ज़हां मे,
देश का अप़ने मान ब़ढ़ाएं
आज़ादी की वर्षगांठ़ की ,
छ़टा निराली ब़ढ़ती जाए
खुशहाली के फूल़ हो बिख़रे,
खुश्बू से चम़न महक़ाएं
आओ आज़ादी दिवस मऩाएं
15 August 2022 Kavita
आज़ क़ा दिन!
हिन्द के इ़तिहास क़ा
सब़से सुनहरा दिवस़ प्यारा!
आज़ का दिन!
यदि आप़ इस तऱह से पे़पिलोमा पाते हैं,
तो सा़वधान रहे!
तुरत प़ता लग़ाओ!
दे़श मेरा! जो ध़रा पर
थ़ा प्रख़र मार्तण्ड सा।
पर ग्रसित थ़ा
ग़हन क़ारा मे अधेरे क़ी।
पराश्रित थ़ा, विव़श थ़ा,
क़ाटक़र ब़धन,
इसे आज़ाद क़रने को,
सपूतो ने य़हां पर,
प्राण की ब़ाजी लग़ा दी।
देश की परतंत्रता को, तोड़ने क़ो,
अनगिऩत वीरो ने, अ़पनी,
ब़लि चढ़ा दी।
आज़ के ही दिन।
तिमिर क़ी कोख़ से
झेल़क़र के क्राति की
वह प्रसव़ पीड़ा,
फिर उ़गा था सूर्य
आज़ादी का ऩभ मे
फिर मिला थ़ा हमे
वापस देश अ़पना।
आज़ के दिन!
उ़न शहीदो को ज़रा
हम याद़ क़र ले।
दे उन्हे श्रद्धा-सुमन,
कुछ़ प्रार्थना, फ़रियाद क़र ले।
उ़न शहीदो क़ो,
ज़रा हम याद क़र ले।
आज़ का दिन!
ग़र्व और गौरव भ़रा है।
आज़ आज़ादी क़ा जन्मोत्सव यहां पर।
आज़ इस स्वर्णिम दिवस पर,
पास आओ।
सब़ सिमट ज़ाओ!
ब़नो सब़ एक़!
दो वचन!
हम प्राण़ देक़र भी
ब़चाएगे यहा की एक़ता को,
हम क़भी ब़टने न देग़े,
देश को, इसानियत को,
वास्ता है अ़न्न का, जल का हमे, ह़म चुकाएगे़
ध़रा-ऋण प्राण़ देक़र।
अटल बिहारी वाजपेयी की कविता: स्वतंत्रता दिवस की पुकार
पन्द्रह अग़स्त क़ा दिन क़हता- आजादी अ़भी अ़धूरी है
सपने स़च होने ब़ाकी है, राख़ी की शपथ़ न पूरी है॥
ज़िनकी लाशो पर पग़ धर क़र आज़ादी भारत मे आई
वे अब़ तक़ है खानाब़दोश गम की क़ाली ब़दली छाई॥
क़लक़त्ते के फुट़पाथो पर जो आधी-पानी स़हते है
उऩसे पूछो, पन्द्रह़ अग़स्त क़े बारे मे क्या क़हते है॥
हिन्दू क नाते उनक़ा दुख़ सुनते यदि तुम्हे लाज़ आती
तो सीमा के उ़स पार च़लो सभ्य़ता ज़हाँ कु़चली जाती॥
इंसान ज़हाँ ब़ेचा ज़ाता, ईमान खरीदा जाता है
इस्लाम सिस़किया भ़रता है,डालर म़न मे मुस्क़ाता है॥
भूखो क़ो गोली ऩगों को ह़थियार पिन्हाए़ जाते है
सूख़े क़ण्ठों से जेहादी नारे लग़वाए जाते है॥
लाहौर, क़राची, ढाका पर मात़म क़ी है क़ाली छाया
प़ख़्तूनो पर, ग़िलगित पर है गमगीन गुलामी क़ा साया॥
ब़स इसीलिए तो क़हता हूँ आजादी अभी अ़धूरी है
क़ैसे उ़ल्लास म़नाऊँ मै? थोड़े दिऩ की मज़बूरी है॥
दिन दूर ऩही ख़डित भारत को पुऩ अखंड ब़नाएगे
गिलग़ित से ग़ारो पर्वत तक़ आजादी पर्व मऩाएगे॥
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज़ से क़मर क़से ब़लिदान क़रे
जो पाया उसमे ख़ो न जाएँ, जो ख़ोया उसक़ा ध्यान क़रे॥
देशभक्ति पूर्ण
राम कृष्ण की धरती है ये
यहाँ वेदों का पाठ हुआ
चिर हरण जब हुआ नारी का
तब महाभारत संग्राम हुआ
क्या कहने थे आर्यावृत के
जब यहाँ सोना उगता था
इस माटी के दाने से ही
जग का खाना होता था
जिस धरती पर वेद उपनिषद का
लेखन होता था
सूर्य निकलता था भारत में
उजियारा जग में होता था
पोरस की छवि देखकर
सिकंदर भी मुहं मोड़ गया
जग जीतने निकला था
भारत से वापस लौट गया.
महाराणा का भाला था वो चेतक
भी तो आला था
छत्रपति की तलवार देख
दुश्मन भी हिल जाता था
गुलामी की जंजीर लगी तो
तोड़ा उसे अहिंसा से
गांधीजी ने
सशस्त्र बिना ही आजादी को छिना था
पर कैसा बदलाव आ गया देश में
भी अन्धकार छा गया
वीरों का सम्मान हिल गया,
महापुरुषों का मान हिल गया.
कहाँ गई वो हरिश्चन्द्र के सत्य की
बाते होती थी.
क्या वो सब पन्नों की सच्चाई होती
थी
भूल गये बलिदान राम सीता का
धर्म भूल गये
नारी को छूने से पहले अत्याचारी फांसी
पर झूल गये
सम्भल जाओ ये भारत है
पुरखो का बलिदान है ये
भगतसिंह का खून यही
चंद्रशेखर का यशगान हैं ये
महामारी से जूझ रहे है
वेदों को हम भूल रहे है
ऐसा कोई हनन नहीं भारत में जिसका
दमन नहीं
इस धरा में चाणक्य चतुराई चला
करती थी
सुश्रुत और चरक की संहिता बीमारी में
फलती थी.
भ्रष्टाचार की कमर मरोड़ो
अत्याचारों से नाता तोड़ो
स्वार्थ को तुम आज ही छोड़ो
तुम भारत के बच्चे हो
तुम भारत के बच्चे हो
भारत पर अभिमान करो
सामर्थ्य बता दो भारत का
विश्व में भारत का यशगान करो
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
आपस में सब भाई भाई
सब मिलकर भारत का निर्माण करो
यह हिन्द
- ओम प्रजापति
कविता नवीन भारत
प्रचंड वेग से भरे पवित्र भू के पुत्र हैं
शांति के लिए अनार्य नाश में प्रवृत हैं
शत्रु वंचना को हम भूलते कभी नहीं
देख ले पुनः जगत ये है नवीन भारत
अब न हिमगिरी में रक्त हो, आतंक भी असहय है
कश्मीर जीत लें बने अखंड राष्ट्र ये
सर्वदुष्ट भय करें हम सज्जनों के साथ हैं
देख ले पुनः जगत ये है नवीन भारत
जल थल में भी नभ रण में भी यशसविता को प्राप्त है
उपग्रहों में संस्थिति विशिष्ट शस्त्र युक्त हैं
अनन्त विश्वरक्षणार्थ अन्तरिक्ष भेद दें
देख ले पुनः जगत् ये है नवीन भारत
नए विकास मार्ग में भी शास्त्रनिष्ठ कर्म हैं
गुरुत्व भाव से पढ़ाते भोग योग धर्म है
नायकत्व है विदेश नीति में ये गर्व हैं
देख ले पुनः जगत ये नवीन भारत
वसुंधरा कुटुंब है ये जानते हैं हम सभी
किन्तु धर्मरक्षनार्थ शस्त्र शस्त्र में प्रविष्ट है
इतिहास लिखेगे हम है भारतीय गर्जना
देख ले पुनः जगत ये नवीन भारत
कह रहा है मेरा मन है भग्न कुछ तो बेड़ियाँ
उठ रहा है ये युवा जो राष्ट्र भाव से भरा
निज भाषा संस्कार का जिसके ह्रदय में मान है
देख ले पुनः जगत ये है नवीन भारत
- अभिप्रणव मनमोहन उपाध्याय
15 August Kavita In Hindi
यह गौरव गाथा है अमर शहीदों की
भारत माँ के वीर सपूतों की
राष्ट्र के खातिर अपने प्राण गंवाने वालों की
देश में आजादी के दीप जलाने वालों की
सुनकर उनकी गाथाएं रोम रोम हो उठे खड़े
जिनके बलिदानों से अब हिन्दुस्तानी आगे बढ़े
स्वतंत्रता सेनानियों के उस संघर्ष को ये देश हमेशा दोहराएं
जिनके दम पर ही भारत की शान तिरंगा लहराएं
इस देश के नौजवानों में वीरता का लहूँ बहे
जिनकी गौरव गाथाओं को पूरा भारत देश कहे
इस आजादी की खातिर कितनों ने प्राणों की बाजी लगाई है
तब जाकर ही वीरों ने देश में ख़ुशी की लहर दौड़ाई है
रानी लक्ष्मी और दुर्गा जैसी वीरांगनाओं ने इस पुण्य धरा पर जन्म लिए
देशभक्ति के पथ पर चलकर जिन्होंने खुद के प्राण न्यौछावर कर दिए
हिन्दुस्तानियों के दिल में बापू नेहरु भगत और नेता हो गये अमर
रणबांकुरों ने कुर्बानी दे दी पर आजादी में छोड़ी न कोई कसर
वो शूरवीर बहुत अलबेले थे जिनके रग रग में वतन समाया था
भारत की आजादी की खातिर अंगारों में भी खुद को जलाया था
भारत माँ की शान के रखवाले वीरों को हम करते हैं नमन
वंदेमातरम् की गुंजों से हिन्दुस्तानियों ने महकाया है सारा गगन
देशभक्ति की धुन में मस्ताने शहीदों ने एक संदेशा फैलाया
अपने राष्ट्र से बढ़कर कोई ना होने पाए
मातृभूमि की सेवा में चाहे प्राण भले ही जाए
जय हिन्द
- ज्योति मिश्रा
15 August Kavita In Hindi Language
पन्द्रह अगस्त है आया हो आया
घर घर स्वतंत्रता लाया हो लाया
इसी दिवस के लिए वीर पुरुषों ने प्राण गंवाए
भारत माँ को दे दी बलि पर
कभी ना शीश झुकाया
कभी ना शीश झुकाया
पन्द्रह अगस्त है आया हो आया
घर घर स्वतंत्रता लाया हो लाया
वीर शिवा राणा प्रताप झांसी की लक्ष्मी बाई
भगत सिंह आजाद हुए तब
और लहू रंग लाया
और लहू रंग लाया
पन्द्रह अगस्त है आया हो आया
घर घर स्वतंत्रता लाया हो लाया
15 August Kavita In Marathi
एक राष्ट्र श्रेष्ट राष्ट्र भारत
यह वीरों की मातृभूमि है
यह आर्यावर्त का गौरव है
यहाँ श्रीराम के संस्कार है
खुदा रहीम को इससे प्यार है
ज्ञान की गाथाएं है
कर्मभूमि सबको भाए है
गीता रामायण से लेकर
कुरआन वेद पुराण सबके
ह्रदय में छाए है
शहीदों का रक्तपात है
स्वाधीनता का साथ है
रण संग्रामों से लेकर
हर विजय में भारत का हाथ हैं
हिमालय से गोवर्धन, गंगा से यमुना
कश्मीर से कन्याकुमारी प्रत्येक दिशा
में भारत का नांद है
लक्ष्मीनारायण एवं ब्रह्म सरस्वती
स्वयं महादेव पार्वती का इस राष्ट्र पर हाथ है
यह देश नहीं संसार है
प्रेम की बौछार है
इसकी महिमा अपरम्पार है
विश्वगुरु यह सबका सार है
पुष्प सा यह महकता है हमारे ह्रदय में बसता है
माँ भारती के चरणों में कर देगे जीवन दान
इसी भूमि पर छोड़ देगे प्राण
पुरातन तथा सनातन संस्कार का राष्ट्र भारत
हमारा एक भारत श्रेष्ठ भारत
पुरातन नीति सनातन विकास
नहीं आने देगे इस पर आंच
- देवांश शर्मा
15 August Par Desh Bhakti Kavita
भारत माता तेरा बखान करने को मुझपे शब्द नहीं
तेरी ममता दुनिया को बतलाऊं इतना मैं परिपक्व नहीं
फिर भी इक कोशिश करता हूँ तेरा गौरव गान बताने की
हंस कर शीश दिए जिस जिस ने उन सबका मान बढ़ाने की
जब जकड़ लिया तुझे कुछ तुच्छ लोगों की जंजीरों ने
तेरी आन बचाने का संकल्प लिया कई वीरों ने
उतर गये वो रणभूमि में तेरा ही जयघोष लिए
हंस कर शीश दिया खुद का और उनके सीने चीर दिए
तूने सींचा है हर इक वीर अपने आंचल की छाँव में
तू ही माता तू ही जननी ये सीखा हर वीर ने तेरी ममता की छाँव में
कईयों ने पहनी अंगूठी और कईयों ने बस वरमाल
कोई था बस इकलौता और कोई रखवाला
कोई था प्यारा भाई और कोई था पिता बनने वाला
कोई था पिता का लाडला और कोई माँ की आँखों का तारा
बुलाया तूने और निकल पड़े मुड़ कर न देखा तेरे इन सपूतों ने
हंस कर प्राण न्यौछावर कर दिए माँ तेरे इन सपूतों ने
आंचल भर आया माँ का, पिता का ह्रदय भी भर आया
बहना की राखी भी रोई, रोना बिटिया को भी आया
जब दिखा लाडला तिरंगे में लिपटा
इन सबका सीना भर आया
माँ ने बोला व्रत हुए सफल
पिता ने अपने लाल पर अभिमान किया
बहना बोली भैया तुमने राखी का कर्ज उतारा
पत्नी ने गौरवगान किया
धन्य है वो कोख जिसने ऐसे शेर जने
धन्य है तू भारत माता तेरी मिट्टी में ये पले बढ़े
दिलवाई तुझे स्वाधीनता इन्ही तेरे शेरो ने
काट दिए सर झुका दिए सर गद्दारों के माँ तेरे इन वीरों ने
कोशिश की कुछ शब्दों में सब कुछ बताने की
तेरे वीरों का और तेरा शौर्य बढ़ाने की
भारत माता और उसके सभी वीरों को नमन
- अनिकेत श्रीवास्तव
15 August Par Kavita Hindi Mein
यूँ मौन न रहूँगा मैं
यूं चुप न रहूँगा मैं
अपने वतन की मिट्टी के लिए अपना लहू बहा दूंगा
धैर्य न छोड़ूगा
बल न छोडूंगा
अपने वतन की मिट्टी के लिए अपनी जान लगा दूंगा
न देख नजर उठा कर मेरी धरती पर
इस मिट्टी में जन्मा हूँ मिट्टी में मिला दूंगा
यूँ मौन न रहूँगा मैं
दुश्मन ने हमें आज ललकारा है
देख अब हम सर पर कफन बांधे बैठे है
मेरी देश की धरती को छूने की हिम्मत न कर
ये देश है वीर जवानों का, नेताजी का गांधी का
यूं मौन न रहूँगा मैं
यूं चुप न रहूँगा मैं
अपने वतन की मिट्टी के लिए मैं
अपना लहू बहां दूंगा
- ऋषभ डिगारी
15 August Par Kavita In Hindi
आज फिर सभी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देगे
फिर देश भक्ति गीतों को सुना जाएगा
स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद करेंगे
और जगह जगह तिरंगा फहराया जाएगा
व गुणगान भी होगा और भारत माता के नारे लगेगे
लोगों द्वारा तिरंगा वस्त्रों को धारण किया जाएगा
झंडे व उसके प्रतीक के बाजार भी खूब चलेगे
और इसी तरह इस दिवस को मनाने का सिलसिला चलता रहेगा
शायद यही तो होता आया है साल दर साल
तो क्यों न इस बार हम इस दिन को मनाने
कि अपनी वजह ढूंढ पाये
और अपनी पुरानी आदतों और सोच से
स्वतंत्र होकर देश को आगे बढ़ाएं
- Anumeha Jain
15 August Par Koi Kavita
यारा प्यारा मेरा देश,
सजा – संवारा मेरा देश॥
दुनिया जिस पर गर्व करे,
नयन सितारा मेरा देश॥
चांदी – सोना मेरा देश,
सफ़ल सलोना मेरा देश॥
सुख का कोना मेरा देश,
फूलों वाला मेरा देश॥
झुलों वाला मेरा देश,
गंगा यमुना की माला का मेरा देश॥
फूलोँ वाला मेरा देश
आगे जाए मेरा देश॥
15 अगस्त कविता
जाया न करना अमर शहीदों के बलिदान को
विश्व पटल पर बनाये रखना भारत के सम्मान को
सन सतावन की चिंगारी ज्वाला बनकर आई थी
भारत को बंधन मुक्त कराने सौगंध सभी ने खाई थी
कर दिए न्यौछावर प्राण सभी मगर आंच न आने पाई भारत की आन को
विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को
मंगल पांडे, तात्या टोपे, कुंवर चैनसिंह शाह जफर
से असंख्य वीरों ने प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम लड़ा था
भारत माता के वीर सपूतों का वीरता साहस
शौर्य पराक्रम फिरंगियों से कही बड़ा था.
अंग्रेजी तोपें भी झुका न पाई भारतीयों की म्यान को
विश्व पटल पर बनाये रखना भारत के सम्मान को
वो नारी शक्ति रणचंडी का रूप लिए
फिरंगियों का काल बन के आई थी
नाको चने चबवा दिए हुकुमत को
वो वीरांगना वो रानी दुर्गा वो रानी लक्ष्मी बाई थी
आज भी दिलों में संजोए रखा है जिनके गौरव स्वाभिमान को
विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को
देख के जलियावाला खौल गया जो खून था
माँ भारती को बेडी मुक्त कराने का जिसके सर जूनून था
केंद्र सभा में बम फेकने के जिसने सत्ता की नींव हिला दी थी
क्रांतिकारी था वह पंजाबी जिसने अंग्रेजों की नीद उड़ा दी थी.
वीर सपूत हंसकर झुला फांसी पर लगा दांव पे अपनी जान को
विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को
मरते दम तक छू न पाए फिरंगी चन्द्रशेखर आजाद को
एक ही ख्वाइश क्रांतिवीर की वतन मेरा आबाद हो
कर दिया समर्पित माँ भारती की गोद में स्वयं ही अपनी जान को
नाज है जिस पर पूरे हिंदुस्तान को
है कर्तव्य हमारा, हम भूल न जाए उनके योगदान को
विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को
खून के बदले आजादी का नारा दिया था बोस ने
जान फूक दी थी भगत ने इंकलाब उद्घोष से
दिल में तमन्ना जगाई थी बिस्मिली सरफरोश ने
कंपा दिया था सिंहासन क्रांतिवीरों के जोश ने
आज भी बच्चा बच्चा गाता जिनके गौरव गान को
विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को
लड़ी लड़ाई चेन्नमा, ऊषा, कृपलानी और
कैप्टन लक्ष्मी सहगल की रानी रेजिमेंट ने
कंधे से कंधा मिला वीरा का साथ दिया अरुणा आसफ
कमला नेहरू, दुर्गाबाई, हजरत महल, एनी बेसेंट ने
खुदीराम, सीमान्त गाँधी को देश नहीं भूलेगा जिन्होंने
जीवन अपना मातृभूमि पर वार किया
लाला, तिलक ने स्वतंत्रता की प्रष्ठभूमि को तैयार किया
बुलबुले ए हिंद ने कलम से अपनी ऊर्जा का संचार किया
तब कहीं जाकर अंग्रेजों को देश से हमने बाहर किया
चूर चूर कर डाला था क्रांतिवीरों ने सत्ता के अभिमान को
विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को
एक मुट्ठी नमक बना गांधी ने अंग्रेजी हुकुमत को ललकारा था
राष्ट्र पिता के प्रयासों से हो गया था एकजुट भारत सारा का सारा था
चरम पर था संग्राम स्वातंत्र्य का चढ़ गया जुबां पर भारत छोडो का नारा था
निकल रहे थे लोग सड़कों पर सबको भारत माता ने पुकारा था
लड़ रहे फिरंगी बम बन्दूकों और तोपों जैसे अस्त्रों से
बापू ने लड़ी लड़ाई सत्य और अहिंसा जैसे शस्त्रों से
जलवा दी थी होली विदेशी कपड़ो की, खादी जैसे वस्त्रों ने
बाँध दिया सारे भारत को संगठन और एकता के सूत्रों में
तन मन धन सर्वस्व समर्पित कर दिया जिसने भारत देश महान को
विश्व पटल पर बनाए रखना भारत के सम्मान को
वीर सपूतों के शौर्य पराक्रम की गाथाओं से ये धरती सदा ही गुजायमान हो
रगों में देशप्रेम बहता रहे, भारत माता का सदा ही गौरव गान हो
है कर्तव्य हमारा, ह्रदय में संजो के रखना
वीर शहीदों के बलिदान को, प्यारे हिंदुस्तान को
जाया न करना अमर शहीदों के बलिदान को
विश्व पटल पर बनाये रखना भारत के सम्मान को
- राकेश यादव
15 अगस्त पर कविता Adalah
श्याम श्वेत से विश्व पटल पर
स्वर्णिम सी इबारत था
जाने किसकी नजर गई
वरना विश्व विजेता भारत था
लोदी मुगल सब धुआं हो गये
अंगेजों का उत्थान हुआ
जैसे इस भूमि को दंड मिला हो
विधाता जैसे कुपित हुआ
सत्तावन में चिंगारी भभकी
बिजली जैसे टूट गई
आजादी का संग्राम था पहला
जो आते आते छुट गई
अंग्रेजों ने नकेल कसी थी
भारत जैसे तडप उठा
1906 में मुस्लिम लीग बनी थी
भारत फिर से झडप उठा
उन्नीस में खून की नदी बह गई
डायर ने जलियांवाला फूक दिया
फिर उधमसिंह ने लंदन जाकर
मृत्यु का उसे भोग दिया
इक्कीस का वो वर्ष विदित है
तिरंगे का जब उदय हुआ
जैसे बरस पड़े हो मेघ प्रबल से
वन में शावक का जन्म हुआ
क्रांति की परिभाषा बदली
एक झंडे ने अंग्रेजों को झकझोर दिया
तीस में थाम तिरंगा गांधी ने
कानून नमक का तोड़ दिया
असेम्बली में फुट गुस्सा
भगत ने कान फिरंगी खोल दिए
गुलामी हमें स्वीकार नहीं
ये शब्द विश्व से बोल दिए
विचलित हुई फिरंगी फौजे
जनतांडव जो शुरू हुआ
बिजली बनकर टूटा भारत
गांधी जिसका गुरु हुआ
बैयालिस में भारत छोड़ो
यह नारा जन जन गा लिया
सैंतालिस में आजाद हो गये
यूं आसमां जमीं ने पा लिया
स्वाधीनता के प्रथम दिवस पर
यह दृश्य ह्रदय में छाया था
जब एक तिरंगे के आंचल में
पूरा भारतवर्ष समाया था
कितने झूल गये फांसी पर
कितने का बलिदान किया है
यूं ये आजादी नहीं मिली है
भारत ने सदियों तक विषपान किया है.
- Himanshu Verma
15 अगस्त पर कविता apk
देश बसा यह गांव में;
पीपल-आम की छाँव में,
बाग की नाजुक कलियों में,
नगरों की उलझीं गलियों में।||५||
सागरों से घिरा देश है;
घने वनों से भरा देश है,
बदलते इस समय में भी,
शांति का यहाँ परिवेश है।||६||
किसान-हस्त से रोपित भारत;
मातृ-भाव से पोषित भारत,
संस्कृति से सज्जित भारत,
सम्राटों से पुलकित भारत।||७||
आज भी कई राज्यों में हैं;
राजाओं की राजधानीं,
एक बार पूछो तो उनसे,
फिर बोलतीं उनकी जुबानी।||८||
- Shubham Deshmukh
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प्यारा प्यारा मेरा देश,
सजा – संवारा मेरा देश॥
दुनिया जिस पर गर्व करे,
नयन सितारा मेरा देश॥
चांदी – सोना मेरा देश,
सफ़ल सलोना मेरा देश॥
सुख का कोना मेरा देश,
फूलों वाला मेरा देश॥
झुलों वाला मेरा देश,
गंगा यमुना की माला का मेरा देश॥
फूलोँ वाला मेरा देश
आगे जाए मेरा देश॥
नित नए मुस्काएं मेरा देश
इतिहासों में नाम लिखायें मेरा देश॥
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पन्द्रह अगस्त देश की शान है,
यह मेरे देश का अभिमान है।
गर्व होता है इस दिन पर मुझे,
यही मेरी आन यही मेरा पहचान है।
राम, कृष्णा, बुद्ध और
महावीर का प्यारा यह देश है।
जियो और जीने दो का
सबको देता संदेश है।
देश की आजादी के लिए
शहीदों ने प्राण गवाएं।
उन शहीदों की शहादत का
पन्द्रह अगस्त सम्मान है।
न भूलना कभी इस दिन को
यह देश की पहचान है।
स्वतन्त्रता दिवस के नाम से
प्रसिद्ध देश की शान है।
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भारत की धरती पर जब जब
स्वाधीनता का कत्ल हुआ
चहक उठी इसकी माटी
और वीरों का तब जन्म हुआ
गद्दारों ने गद्दारी की
और वीरों ने बलिदान दिया
सोने की चिड़ियाँ को
जब अंग्रेजों ने कंगाल किया
सतावन से शुरू हुई थी
हुकुमत की अब उम्र हुई थी
मेरठ से आंधी आई थी
दिल्ली में सैलाब उठा था
आंधी नहीं थी वो क्रांति थी
जिसमें पूरा हिन्द जुड़ा था
पांडे ने जो मंगल किया था
अंग्रेजों में तब खौफ हुआ था
झाँसी तब उभरी ही थी
बिठुर में पेशवा तैनात खड़े थे
तात्या भी तब साथ लड़े थे
शमशीर उठी थी जब इन वीरों की
शामत आई थी तब उन गोरों की
फूट डालो और राज करो
यह उन गोरों की साजिश थी
किया था विभाजित बंगाल हमारा
पर मुहं की उन्होंने खाई थी
खुदीराम का त्याग अमर है
जलियांवाला काण्ड दुखंद है
दहक उठी चिंगारी थी
असहयोग आन्दोलन की अब बारी थी
पीछे हटे जब गांधीजी
लुटी ट्रेन तब काकेरी
खून बहा तब रणधीरों का
अशफाक बिस्मिल शामिल थे
बहिष्कार किया जब साइमन का
लाजपत के वो कातिल थे
यूं ही नहीं मिली है आजादी
आजाद की कुर्बानी थी
शहीद हुए वो खुद के हाथों
अंग्रेजों को समर्पित करने की जो ठानी थी
सहम गई अंग्रेजी सत्ता
भगतसिंह सुखदेव राजगुरु की अब बारी थी
मुस्करा रहे थे वे तीनो
जब फांसी की हो रही तैयारी थी
झूल गये वह फांसी पर
इन्कलाब जिंदाबाद उनकी आखिरी जुबानी थी
शुरू हुआ फिर भारत छोड़ो
इस तरह मिली आजादी थी
15 अगस्त जब फिर आया
तिरंगा शान से तब लहराया
व्यर्थ न जाए उनकी कुर्बानी
और हम अमर ज्योति जलाए
आजादी का मतलब क्या
यह सबको हम समझाए
कोई पूछे मजहब हमसे जब
हम तब हिंदुस्तान बतलाये
हम हिंदुस्तान बतलाये
- अदिति अग्रवाल
भारत
भारत देश परिचायक है;
युगों पुरानी सभ्यता का,
सदियों से यह कर रहा है;
बखान हमारी भव्यता का।||१||
नयी नहीं है बात जहाँ;
शिक्षा की, संस्कारों की,
बेलाऐँ चलतीं है जहाँ,
नित-नये त्योहारों की।||२||
मिट्टी यहाँ की प्यारी है;
माँ की गोद के जैसी,
मन को खुश कर देतीं हैं,
खुशबू इसकी सौंधीं-सी।||३||
वनों में हरियाली मुस्कातीं;
खेतों में फसलें लहरातीं,
कल-कल बहते हैं झरने,
नदियाँ हैं नवगीत सुनातीं।||४||
- शुभम देशमुख 'पथिक'
आजादी
इबादत की सभी हद से गुजर जाना है आजादी
वतन की ख़ाक में खुद का बिखर जाना है आजादी
जहाँ खुद का फना होना सफर की बन जाए मंजिल
शहादत की उसी प्यासी डगर जाना है आजादी
पुकारे जब वतन की सिसकियाँ तुमको सितम सहकर
तुम्हारे इस लहू को आब कर जाना है आजादी
चमकते रहे सब रौशनी अपनी लुटाकर वो
जमीं पर उन सितारों का उतर जाना है आजादी
गुलामी के समन्दर में अना के लूटते मंजर में
बिना पतवार सबको पार कर जाना है आजादी
सुकूत ए सच दिखाई दे न जब भी झूठ के अंधेरों में
अकेले सच की लौ थामें निडर जाना है आजादियो
-प्रशांत परसाई
स्वतंत्रता दिवस कविता 1
भारत मेरा देश है इस पर गर्व विशेष है
वीरों की यह पावन भूमि पावनहार प्रदेश है
जन्म लिया है इस मिट्टी में भाग्य मेरा सर्वेश है
भारत मेरा देश है इस पर गर्व विशेष है
देश मेरा रंगीला यारों निराले इसके परिवेश है
भाषा का हर क्षेत्र अलग अलग उनका गुणवान है
बलिदानों से सनी मिट्टी जीवंत हर अवशेष है
भारत मेरा देश है इस पर गर्व विशेष है
पहाड़ नदियाँ झील और झरने भाषा बोली जाए न बरते
राम कृष्ण के संस्कार समाए पावन उनके कर्म करने
तीज त्यौहार या आतिथ्य सत्कार ये कहना भी शेष है
भारत मेरा देश है इस पर गर्व विशेष है
स्वतंत्रता दिवस कविता 2
वो देश प्रेम ही क्या जो दिखावे पर चलता है
जुड़ों उस इन्सान से जो रोज भूख से मरता है
कोई खेले करोड़ो में कोई दाने को तरसता है
ये देश बना बलिदान से यहाँ कौन सा राक्षस बसता
महंगाई अशिक्षा एक सांप है जो हर रोज हमें डंसता
जालसाजी के खेल में रोज एक गरीब फंसता है
और देख इनकी बेबसी अमीर रोज हंसता है
ये जमाना हर बार हमें क्यों ऐसी कसौटी पर कसता है
क्या गरीब है सिर्फ इसलिए उनका जीवन सस्ता है
इन गरीब और पिछड़े लोगों में असली भारत बसता है
कुछ करो इनके उत्थान में जिससे भारत माँ का दिल हंसता है
और वो देश प्रेम ही क्या जो बस दिखावे पर चलता हैं.
स्वतंत्रता दिवस कविता 3
ये माटी हे भरतवंश के गौरव और स्वाभिमान की
जिसमें खेले राणा शिवा और बिस्मिल आस्फाक खां की
राम कृष्ण के उपदेशों और गौतम वीरा के जान की
पृथ्वीराज की तलवारों और पौरुष के अभिमान की
पांचजन्य की गूंज यहाँ और गांडवी की टंकार है
शरणागत पर दयाभाव और बेरी से प्रतिकार है
जिनके भुजदंडों ने हिमखंडों को पिघला डाला
करुणा जिनकी सागर जैसी समरभूमि में जो ज्वाला
हमको अब भी चाँद सितारे जमीं पर लाना आता है
हमको अब भी दुनिया का भूगोल बदलना आता है
चाँद सितारे वाले झंडे अब नहीं दिखेगे घाटी और गलियारों में
वंदेमातरम् गान मिलेगा मन्दिर और मजारों में
महामारी का सौदागर वो इठलाता ड्रेगन सुन ले
62 वाला नहीं है भारत कान खौल कर सुन ले
प्रलयनृत्य फिर शंकर का जब मानसरोवर में होगा
सिंहनाथ फिर सिंहो का जब कामाख्या के दर होगा
अबके आँख उठाई जो तो आँख फोड़ दी जाएगी
अब के ड्रेगन के फन पर एड़ी रगड़ी जाएगी
जहाँ परसराम का परसा चमके शेषनाग फुंकार है
सारंग धनुष का तोड़ नहीं और ब्रह्म अस्त्र की मार है
श्रोनित से अभिषेक जहाँ है बलिदान जहाँ है आरती
जय भारत जय भारती जय भारत जय भारती
स्वतंत्रता दिवस कविता 4
सब रिश्तों से गहरा जिसका अपने देश से नाता है
सच्चे सपूत जो भारत के उनकी ही भारत माता है
कुर्बानी देकर प्राणों की भारत जिनने आजाद किया
जीवन की अंतिम साँसों में भी भारत माँ को याद किया
जिनके लहू का कतरा कतरा गीत वतन के गाता था
तीन रंग का झंडा प्यारा जिनके दिल में लहराता था
उनके वंदन में नत मस्तक हिम पर्वत शीश झुकाता है
सच्चे सपूत वो भारत के उनकी ही भारत माता है
भरी जवानी में हंस कर फांसी में जो झूल गये
रिश्ता वतन से याद रहा और सारे रिश्ते भूल गये
माँ की ममता बहन की राखी पत्नी का सिंदूर भुलाया
देश प्रेम का अद्भुत जज्बा कदम न जिनके रोक पाया
मातृभूमि का कण कण जिनकी गौरव गाथा गाता है
सच्चे सपूत वो भारत के उनकी ही भारत माता है
सरहद पर सीना ताने जो देश की रक्षा करता है
शून्य डिग्री से कम ताप पर, जिसका रक्त उबलता है
होली ईद दिवाली जिसकी सरहद पर ही मनती है
जिसके बुलंद हौसले देख शत्रु की फौज सहमती है
जिनके चरणों का वन्दन करने स्वयं गगन झुक जाता है
सच्चे सपूत वो भारत के उनकी ही भारत माता है
उठे देश के नौजवानों भारत माँ तुम्हे जगाती है
वीरों के तुम वंशज हो ये तुमको याद दिलाती है
सेजो में मत सोये रहो ना खोना व्यर्थ जवानी को
उठो और हुंकार भरो दोहराओ अमर कहानी को
राष्ट्रभक्ति से ओत प्रेत जो गीत अमन के गाता है
सच्चे सपूत वो भारत के उनकी ही भारत माता है
- मीत जैन
स्वतंत्रता दिवस कविता 5
कहना होगा
कहना होगा गद्दारों से अब बहुरूपीय का भेष ना हो
या कह दो कायर खुद को या रण में तुम युद्ध करो
पीठ दिखा कर भागो तुम या वीरता का परिचय दो
फिर भी जो छल कपट प्रपंच से गद्दारी कर जाएगे
सुन ले फिर देश के दुश्मन
फिर विश्व पटल के मानचित्र मैं अपना चित्र ना पाओगे
अथक प्रयासों की यह स्वर्ण रुपी स्वतंत्रता
नारी सम्मान, धर्म जाति भेदभाव रहित है ये स्वतंत्रता
घोटालो और हत्याओं की साजिश लिए है देश में
पले हुए है गद्दार यहाँ मगरमच्छ के झुण्ड में है घड़ियालो के वेश में
और गद्दारों सुनो तुमने कायर निति अपनाई थी
कारगिल की घाटी पर तुमने करी चढाई थी
कश्मीर की बाते तुमने पुलवामा में दोहराई थी
भारत माँ की अखंड कोख को खंडित करते तुमको तनिक लाज ना आई थी
अब दर्द कहा तक पाले हम और युद्ध कहा तक टाले हम
अब गांधी नीति नहीं चलेगी उधम सिंह बन जाना है
गद्दारों के घर में जाके वीरता सिखलाना हैं
झूठ धोखा हत्या धर्म जाति फल रही धंधों के भेष में
देख क्या हालत हो रही गांधी अटल कलाम तेरे देश में
मेरी हुई है लाशें माना पर जिन्दा कौनसा जिन्दा है
दंगे फसाद आतंक से संविधान पड़ा शर्मिंदा है
शांत बैठी कलम लिख नई कड़ी बुन रही
तभी कानों में आके एक खबर पड़ी
फिर आज हिन्दू मुस्लिम राजनीति ताना बाना बुन गया
मन्दिर बने मस्जिद बने सब एक खून में सन गये
जाना कभी सडक किनारे
गरीबी धूप सी है जल रही
अंग्रेज गुलाम छोड़ कर चले गये
पर गुलमिया भला क्यों पल रही
और यही वो देश है जहाँ हर धर्म साथ रहता है
कोई माँ भारती की जय कोई हिन्द आबाद कहता है
अश्रु अपने से तुम अखंड भारत का निर्माण करो
बोल वचन लेख गान से भारत का गुणगान करो
अहिंसा की राहों पर चलना अब बहुत हुआ
गद्दारों को समझदारी सिखाना अब बहुत हुआ
अब लाल रक्त रंग जाओ तुम
घाटी की प्यारी वादी को फिर तिरंगे से सजाओ तुम
- तुषारिका शुक्ला
Independence Day poem 6
आरंभ से ही ,दम्भ के मैं गीत गाता हूँ।
हूँ सिंह शावक,शौर्य साहस गुनगुनाता हूँ।।
तोड़ कर पर्वत सदा, मैं मार्ग पाता हूँ।
हूँ सिंह शावक ,शौर्य साहस गुनगुनाता हूँ।।
मार्ग के कण्टक सभी क्षण में मिटाता हूँ।
हूँ सिंह शावक ,शौर्य साहस गुनगुनाता हूँ।।
स्वमेव ही मृगयेन्द्रता कि,पदवी मैं पाता हूँ।
हूँ सिंह शावक,शौर्य साहस गुनगुनाता हूँ।।
आरम्भ से ही दम्भ के मैं ,गीत गाता हूँ।
हूँ सिंह शावक ,शौर्य साहस गुनगुनाता हूँ।।
Independence Day poem 7
दीप अगणित जल रहे हैं,विश्व आलोकित हुआ है।
संकटों के तिमिर में,नव सूर्य का उद्भव हुआ है।।
चिर घनेरी रात में,नेत्रों की शक्ति थम रही थी।
उस घने आकाश में,इक दीप आंदोलित हुआ है।।
संकटों के तिमिर में,नव सूर्य का उद्भव हुआ है।
दीप अगणित जल रहे हैं, विश्व आलोकित हुआ है।।
शब्द त्राहि के निरंतर, कम्प करते थे हृदय में।
कम्पनों के शोर से ,इक पुंज आलोकित हुआ है।।
संकटों के तिमिर में,नव सूर्य का उद्भव हुआ है।
दीप अगणित जल रहे हैं,विश्व आलोकित हुआ है।।
Independence Day poem 8
हम जीतेंगे इस बार इरादा यही हैं..
आहिस्ता ही सही पर वादा यही हैं..
हैं जटिल ये रास्ते , मोड़ अनेक हैं..
मंजिलों की खोज में , लोग अनेक हैं..
बरसात को तरसते, ये खेत अनेक हैं..
स्वपन से अधूरे , लेख अनेक हैं..
हां क्षितिज को खोज में ,पंछी अनेक हैं..
राहों पर भीख मांगते , फकीर अनेक हैं..
लोगों का खून चूसते , जमींदार भी अनेक हैं..
ज़िन्दगी की दौड़ में , किरदार अनेक हैं..
जाति ओर वर्ग जैसी , बीमारियां अनेक हैं..
इन अंधेरी रातों पर , जिम्मेदारियां अनेक हैं..
15 अगस्त कविता 9
मेरे वतन में रहने वाले
जन जन का सम्मान हो
हम भारतवासी ये चाहे
कि मेरा देश महान हो
सुनना चाहो सुनो ध्यान से
एक संदेश हमारा है
अच्छा बुरा है जैसा भी है
भारत देश हमारा है
दिल हमारे एक है
एक ही है हमारी जान
हिंदुस्तान हमारा है
हम है इसकी शान
जान लुटा देगे वतन पे
हो जाएगे कुर्बान
इसलिए तो हम कहते है
मेरा भारत महान
कुछ नशा तिरंगे की आन का है कुछ नशा
मातृभूमि की शान का है हम लहराएगे
हर जगह यह तिरंगा नशा ये हिंदुस्तान की शान का है
- जिया कुमारी
15 अगस्त कविता 10
जय जय प्यारा जग से न्यारा
शोभित सारा देश हमारा
जगत मुकुट जगदीश दुलारा
जग सौभाग्य सुदेश
जय जय प्यारा भारत देश
प्यारा देश जय देशेश
अजय शेष सदय विशेष
जहाँ न सम्भव अघ का लेश
सम्भव केवल पुण्य प्रवेश
जय जय प्यारा भारत देश
स्वर्णिम शीश फूल पृथ्वी का
प्रेम मूल प्रिय लोकत्रयी का
सुललित प्रकृति नटी का टीका
ज्यों निशि का राकेश
जय जय प्यारा भारत देश
जय जय शुभ्र हिमाचल श्रंगा
कल रव कलोलिनी गंगा
तेज पुंज तप वेश
जय जय प्यारा भारत देश
जग में कोटि कोटि जुग जीवै
जीवन सुलभ अमी रस पीवै
सुखद वितान सुकृत का सीवै
जय जय प्यारा भारत देश
- Richa Vijayvargiya
15 अगस्त कविता 11
मेरे वतन में रहने वाले
जन जन का सम्मान हो
हम भारतवासी चाहे
कि मेरा भारत देश महान हो
सुनना चाहो सुनो ध्यान से
एक संदेश हमारा है
अच्छा बुरा जैसा भी है
भारत देश हमारा हैं
दिल हमारे एक है
एक ही हमारी जान है
जान लूटा देगे वतन पे
हो जाएगे कुर्बान
इसलिए हम कहते है
मेरा भारत महान
SHIVANGI SINGH
१५ अगस्त जैसे अवसरों पर बच्चों के लिए अभिभावक और शिक्षक अच्छी देशभक्ति और जोश वाली कविताओं की सर्च करते हैं. हमें उम्मीद है आपको आजादी दिवस पर दी ये कविताएँ पसंद आई होगी.
अगर आपको स्वतंत्रता दिवस पर कविता 2022 Poem On Independence Day In Hindi में दी गई 40 से अधिक देशभक्ति की कविताएँ पसंद आई हो तो इसे अपने फ्रेड्स के साथ भी शेयर करें.
आप अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में इस कविताओं को शामिल कर सकते हैं. अथवा किसी एक कविता के साथ सस्वर वाचन भी कर सकते हैं. ऐसी ही शानदार कविताएँ पढ़ने के लिए अपने इस ब्लॉग पर रोज आते रहे.
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